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________________ 250 जैन ग्रन्थ-प्रशस्ति संग्रह 123 श्रीमन्दिसूरि 155 समन्तभद्र स्वामी श्रीपाल (प्राचार्य) 187 समन्तभद्रार्य श्रीपाल वर्णी 45, 50, समवसति श्रीभट्ट 127 समस्तकीर्ति श्रीभूषण भट्टारक 45, 70 65, 16, परोजकीर्ति (कमलकीर्ति) 176, 180 सहस्रकीर्ति ___32, 35, 68, श्रीभूषणसूरि 83 महिलाद्र वर्णी श्रुतकीर्ति 17, 18 संयमकीर्ति श्रुतफेवली ___51, संयमदेव 158, 186 श्रुतगुरु 187 संयमसेन 188 श्रुतजलनिधि-(श्रुतमागर) 212 मागरनन्दी श्रुतमुनि 160, 111 सागरसेन मुनि 177 श्रुतरत्नाकर (श्रुतसागर) 206 सिद्धसेन श्रुतसागर 15, 16, 17, 30, 71, सिद्धसेनसूरि *46, 208, 210, 211, 213, सिंहकीर्ति 214, 215, 217 216 / सिहन्दि 15, 17.18 श्रुताब्धि (श्रुतसागर) 157, 215 सिंहनन्दि भट्टारक सकलकीर्ति (भट्टारक) 6.16, 40 41. सिंहनन्दी प्राचार्य 71, 157, 158 42, 43, 44, 46, 47, 53, सुगन 61, 101, 102, 207, 224 / सुदर्शनमुनि 11, 12 सकलचन्द्र (भट्टारक) 166, 167 सुभद् सकलभूषण 20, 41 सुमतिकीर्ति भट्टारक 40, 41, 42 सकलभूषणमुनि 166, 170 सुमतिकीर्ति२०.१५२, 153, 156,224 सकलेन्द्र (सकलचन्द्र) 100 सुधर्म (गणधर) सत्यवाक्य 101, 105 समन्तभद्र, 1.14, 16, 30, 48, सुमतिसागर 51,70,63, 105,111, 127 173 144, 177, 167, 291,213 / सुरेन्द्रभूषण भट्टारक 140 24 सुरेन्द्रकीर्ति
SR No.010101
Book TitleJain Granth Prashasti Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmanand Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1954
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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