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ज्यौं तिल माहिं तेल है ज्यो चकमक में आगि । तेरा स्वामी तुझमें हैं जाग सके तो जागि ।।
कर्म के मध्य में भी चेतना का स्वाद लें
एक बार अकबर बादशाह और बीरबल बैठे थे। बादशाह ने कहा कि 'आज मैंने एक स्वप्न देखा कि आप और हम दोनों भागे जा रहे हैं, और आप एक गोबर के गड्ढे में गिर गए और मैं गन्ने के रस के गड्ढे में गिर गया। वीरबल ने कहा- 'मैंने भी एक स्वप्न देखा है जो इससे थोड़ा आगे तक है, आप तो गन्ने के गड्ढे में गिर गए और मैं गोबर के गड्ढे में गिर गया। इतना तो ठीक है; परन्तु इससे आगे यह और था कि आप मुझे चाट रहे हैं और मैं आपको चाट रहा हूँ।
अब अपनी बात है। यह आत्मा कर्म के कषाय के गड्ढे में गिरी हुई है । परन्तु यह आत्मा कर्म के फल सुख दुःख का स्वाद भी ले सकती है, अथवा अपने ज्ञान का स्वाद भी ले सकती है । गोबर के गड्ढ़े में पड़ा है अथवा गन्ने के रस के गड्ढ़े में सवाल यह नहीं है। सवाल है। स्वाद किसका लेना चाहता है। किसका ले रहा है। कर्म के मध्य में पड़ा हुआ अपने चेतन स्वभाव का स्वाद ले सकता है। ज्ञान भी हमारे पास है और कर्म का फल भी हमारे पास है। स्वाद लेने वाले हम ही हैं। हम चाहे तो ज्ञान का स्वाद ले लेवें, और हम चाहें तो कर्म का स्वाद ले लेवें। चेतना का स्वाद हमने आज तक कभी नहीं लिया। अपने में लगे तो अपना स्वाद आवे । अपना स्वाद आज तक इसने नहीं लिया। जिसके आगे सच्चे स्वाद भी स्वादहीन हो जाते हैं।
अन्त में यहाँ एक बात और स्पष्ट करनी है क्योंकि बात सम्यग्दर्शन की चल रही है, सम्यग्दृष्टि की चल रही है, इसलिए यदि सम्यग्दृष्टि की दृष्टि में जरा सी भी चूक हो जाये तो वह अपना सम्यकत्व रूपी रत्न भी खो सकता है, फिर उसकी ऐसी ही स्थिति होगी जैसी दोने की निम्न दृष्टान्त में होती है।
दृष्टान्त - एक बहुत प्रतिष्ठित व्यक्ति हलवाई की दुकान पर जाता है, और कुछ गुलाब जामुन खरीदता है। हलवाई ने दोने में गुलाब जामुन दे दिये। सेठ इनको अपने रेशमी रूमाल से ढककर अपने भवन चला जा रहा है। अब दोना (पत्ते का बर्तन) सोचता है कि हम भी रेशमी रूमाल से ढके हुये हैं। वह प्रतिष्ठित व्यक्ति अपने भवन पहुँच जाता है। वहाँ सोफे और टेबल ड्राईंग रूम में सजे हैं। उन पर बढ़िया प्लेटों में गुलाब जामुन को थोड़ी देर के लिए दोने सहित रख दिया जाता है। तब दोना अभिमान में चूर होकर विचार करता है कि ओह ! हम कितने ऊँचे चढ़ गये हैं, हमें कितना सुन्दर आसन बैठने को मिला है। दोने को यह नहीं मालूम कि यह आसन उसे
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