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17. टाटरी अभक्ष्य है क्योंकि वह गन्दे रसायनों से तैयार की जाती है। 18. हल्दी जमीकन्द है, जल में डालते ही जीवों की उत्पत्ति हो जाती है अतः अभक्ष्य है। 19. गोला कच्चा नहीं खाना चाहिए, उसका पानी भी नहीं पीना चाहिए। 20. सूखा गोला अच्छा हो तो ले सकते हैं, उसकी रंगत नहीं बिगड़नी चाहिए। 21. द्विवल-जिस खाद्य पदार्थ के दो दल बराबर-बराबर हो जायें उसे द्विदल खाद्य पदार्थ
कहते हैं। जैसे-दाल, चना, सेम की फली आदि। द्विदल के भेद-यह तीन प्रकार का होता है1. अन्नद्विदल-मूंग, मोठ, अरहर, मसूर, उर्द, चना आदि। 2. काष्ठ या सूखे मेवाद्विदल-बादाम, पिस्ता, जीरा, धनिया आदि। 3. सब्जी या हरी द्विदल-तोरई, लौकी, खीरा, ककड़ी, टिण्डा, सेम, करेला आदि घने
बीज युक्त सब्जियाँ हैं। इस अपेक्षा से इन्हें द्विदल में गिना गया है। उपर्युक्त खाद्य पदार्थों को पके-कच्चे दोनों प्रकार के दूध, दही तथा छाछ के साथ मिलाने पर तथा मुख की लार मिलने पर असंख्य सम्मूर्च्छन त्रस जीव राशि पैदा हो जाती है। इससे हिंसा होती है। अत: यह सर्वथा त्याज्य है, अभक्ष्य है। ___रस त्याग-बहुत से त्यागी व्रत लेते हैं, किन्तु खाद्य पदार्थों में राग नहीं छूटा तो व्रत लेना बेकार है। उनका सच्चा त्याग नहीं कहा जा सकता है। जैसे- रविवार को नमक छोड़ा, किन्तु जवाखार ग्रहण किया, अर्थात् दो पैसे का नमक छोड़कर, हलवा, रसमयी खीर बनवाना यह सिद्ध करता है कि उनका राग नहीं छूटा अतः सच्चा त्याग नहीं कहा जा सकता। मंगलवार को मीठा छोड़ा 100 ग्राम, केवल रु. 1.50 का, किन्तु मुनक्का, किशमिश, पिंडखजूर, छुआरे का जमकर प्रयोग किया अर्थात् मीठे से राग छूटा नहीं है। अत: यह व्रती का त्याग सच्चा नहीं है। बुधवार को घृत छोड़ा, किन्तु गोले का तेल लिया अर्थात् घृत का राग नहीं छूटा? बृहस्पतिवार को दूध छोड़ा, किन्तु रबड़ी बनवा ली, या मुनक्का बादाम का निशास्ता बनवा लिया या कुछ कर पेड़े बनवा लिए तो यह दूध का त्याज्य नहीं है। ___ शुक्र तथा शनिवार को क्रमशः दही-छाछ तथा तेल का त्याग करना चाहिए और सोमवार को हरी का त्याग करते हैं, यदि इनसे राग नहीं छूटा तो सब व्यर्थ है। ___ कभी-कभी अनाज छोड़ देते हैं, 200 ग्राम अनाज, रु. 1.50 का छोड़ा किन्तु कुटू का आटा, सिंघाड़े की गिरि, चौलाई अनेक सामग्रियाँ इकट्ठी करना, यह सिद्ध करता है कि राग अन्दर गहरा बैठा हुआ है। इसलिए त्याग सच्चा नहीं है, मिथ्या है। किसी ने कहा है कि
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