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सद्गृहस्थ को अप्रतिष्ठित प्रत्येक वनस्पति ग्राह्य 1. आजकल जिह्वा इन्द्रिय के वशीभूत होकर गृहस्थ अनेक वस्तुएँ खाने लगे हैं-जैसे टमाटर।
यह बहुबीजा होता है। इसका बीज शौचालय में भी ज्यों का त्यों निकल जाता है तब भी
अंकर होने की शक्ति नष्ट नहीं होती। अत: टमाटर अभक्ष्य है। 2. सभी बड़े फल, जैसे-तरबूज, पेठा, कद्दू, आदि के गूदे में बीज पाये जाते हैं। इसलिए
अभक्ष्य है। तरबूज का रंग भी घिनौना है।
हींग-हींगडा ये दोनों ही पेड़ में से काष्ठ फोड़कर निकलता है। अतः अभक्ष्य है। 4. भिण्डी नहीं लेनी चाहिए, इसके ऊपर रोम होते हैं, चौइन्द्रिय जीव बैठे रहते हैं, अत:
अभक्ष्य है। अन्दर बीज गोल होता है तथा त्रस जीव अन्दर हो सकते हैं। 5. पपीता नहीं लेना चाहिए, यह क्षीरफल है, बहुबीजा है, अत: अभक्ष्य है। 6. पिण्ड खजूर अभक्ष्य है, क्योंकि इस पर मक्खी-मच्छर बैठकर उड़ते नहीं, चिपक कर मर
जाते हैं। 7. आडू पर रोम होते हैं तथा गुठली के आश्रय में जीव पैदा हो जाते हैं, अतः अभक्ष्य है। 8. जामुन तथा बेर की गुठली के आश्रय जीव पैदा हो जाते हैं, अतः अभक्ष्य है। 9. लीची भी खाने योग्य नहीं है क्योंकि इसकी डन्ठल में जीव पैदा हो जाते हैं तथा इसका
रंग (छीलने पर) भी सफेद है, अण्डे जैसा लगता है। 10. पत्थर बेल तथा कैथ के गूदे में गोल बीज होते हैं और तार भी छूटता है। गूदा ऊपर से
चिपका रहता है। इसलिए खाने योग्य नहीं है। गोम्मटसार जीवकाण्ड में यह उल्लेख आया
है कि जिसका छिलका मोटा हो और गूदे से चिपका हो वह खाने योग्य नहीं है। 11. कटहल जिसकी सब्जी बनती है बिलकुल अभक्ष्य है, क्योंकि इस पर जीव बैठते ही चिपक
जाते हैं, उड़ नहीं सकते, सब मर जाते हैं। यह दूधदार वृक्ष से प्राप्त होता है। 12. गौंद भी अभक्ष्य है क्योंकि इस पर त्रस जीव बैठते ही चिपक जाते हैं और मर जाते हैं। 13. परवल जिसकी सब्जी बनती है, यह बहुबीजा है और बीज भी गोल है, जीव पैदा हो जाते
हैं. अतः अभक्ष्य है। 14. सिंघाड़ा, कसेरू तथा भिस आदि तालाब में पैदा होते हैं। इनके छिलके के आश्रय से जीव I की उत्पत्ति हो जाती है। इसलिए खाने योग्य नही है।
15. साबूदाना अभक्ष्य है क्योंकि शकरकन्दी (जमीकन्द) को सड़ाकर बनाया जाता है। | 16. गोभी (फूल गोभी तथा पत्ता गोभी) अभक्ष्य है क्योंकि निगोदिया जीव के साथ-साथ त्रस
जीव भी इनके आश्रय से रहते हैं।
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