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________________ एक बार वह इजराइल को हराकर उनकी स्त्रियों को बन्दी बनाकर ला रहा था। अपने राज्य में लौटकर उसने एक यहूदी लड़की को अपनी दासी बना लिया। नामन के पास रहते हुए दासी के मन में नामन के प्रति आदर भाव जाग गया। नामन का शरीर पूरा गहनों से ढका रहता था। किन्तु दासी ने नामन को कई बार एक अंधे कमरे में कोने में बैठकर अपने हाथ-पैरों को घूरते देखा, फिर वह रोने लगता था। पता करने पर दासी को ज्ञात हुआ कि नामन को कोढ़ है, और कोढ़ धीरे-धीरे सारे शरीर में फैल चुका है। राज्य के हकीमों ने बहुत उपचार भी किया, किन्तु कोई लाभ नहीं हुआ। इतना जानकर दासी सोचती कि ऐसा क्या किया जाये कि जिससे नामन का कोढ़ खत्म हो जाये। उसे अपने देश इजराइल के सन्त ऐलिसा की याद आती है, जो महान् तपस्वी तथा अपरिग्रही थे। उन्होंने कई मनुष्यों की बीमारियों को मिनटों में ठीक किया था। दासी यहूदी रानी से कहती है कि यदि नामन जो आपका सेनापति है, को इजराइल के संत ऐलिसा के दर्शन कराए जाएं तो वह ठीक हो सकता है। रानी राजा से कहती है और दोनों ऐसा करने को तैयार हो जाते हैं। नामन कई रथ सोने-चाँदी के भरकर इजराइल की ओर रवाना होता हैं नौकरों सहित पड़ाव डालते हुए इजराइल पहुँच जाता है। नामन इजराइल के राजा के पास पहुँच कर राजा को सीरिया के राजा का पत्र दिखाता है। पत्र में लिखा था कि आप जल्द से जल्द मेरे सेनापति का रोग ठीक कर दें। पत्र पढ़कर राजा शक करता है पत्र की सच्चाई पर। कहता है-'हूँ', ठीक कर दूं मैं, मैं कोई खुदा हूँ, जो कोढ़ को ठीक कर दूं, लड़ने का बहाना बनाकर पत्र भेज दिया। यदि लड़ना ही है तो सीधे मैदान में आओ।' तभी सन्त एलिसा की ओर से सन्देश आता है कि आप निश्चिन्त हो जाइए। सेनापति को आप मेरे पास भेज दें। सन्देश सुनकर नामन अपनी सेना के साथ ऐलिसा के निवास स्थान की ओर चल पड़ता है। आधे रास्ते से ही नामन अपने नौकर के द्वारा ऐलिसा के पास संदेश भेजता है कि सीरिया के सेनापति आपसे मिलने आ रहे हैं। नामन के सन्देश से सन्त पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। वह बहुत ही शान्त स्वभाव से नौकर को कहता है कि जाओ नामन से कह देना कि सात बार जॉर्डन नदी में डुबकी लगाले। इससे वह ठीक हो जायेगा। इधर नामन सोच रहा था कि मेरा संदेश पाकर ऐलिसा मेरी अगवानी के लिए आयेंगे, फिर भगवान से प्रार्थना करेंगे और मेरा रोग खत्म हो जायेगा। किन्तु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। नौकर आकर ऐलिसा का संदेश सुना देता है। कहता कि उन्होंने कहा कि आप जॉर्डन नदी में सात बार डुबकी लगा लें, इससे आपका रोग ठीक हो जायेगा। यह सुन सेनापति गुस्से से आग-बबूला हो जाता है। कहता है कि क्या मैं इस छोटे से नाले जॉर्डन नदी में नहाने इतनी दर आया हैं। मेरे देश में इससे कई गना बडी नदियाँ हैं। क्या मैं वहाँ नहीं नहा सकता था नामन का गस्सा देख सब घबरा जाते हैं। एक हिम्मत करके पछता है, फिर कहता है कि अगर सन्त कोई कठिन आज्ञा देते तो भी आप कर ही देते। इस छोटी-सी आज्ञा मानने में क्या नुकसान - 325
SR No.010095
Book TitleJain Darshansara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain, Nilam Jain
PublisherDigambar Jain Mandir Samiti
Publication Year2003
Total Pages458
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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