________________
वेतन मिलता, उसमें से अधिकांश भाग को जोड लेती थी, कई वर्षों के प्रयास के उपरान्त उसके पास एक अच्छी-खासी राशि एकत्रित हो गयी। अब यह राशि उसको अपने पुत्र के इलाज के लिए पर्याप्त थी। अतः वह योजना बनाती है कि अब आगे मुझे कोई नौकरी नहीं करनी है। फलस्वरूप वह धनराशि लेकर अपने घर लौटती है। घर पर जाकर अपने पुत्र को देखती है, स्नेह से उसे अपनी छाती से चिपका लेती है। अब मेरा पुत्र बहुत जल्दी स्वस्थ हो जायेगा, सोचती है मेरे पास पर्याप्त धनराशि है, मैं अच्छे से अच्छे डॉक्टर से इलाज कराऊँगी। किन्तु यह क्या जब वह अपने बॉक्स को खोलती है तो बाक्स खाली पाती है। रास्ते में किसी चोर ने उसका सारा धन चुरा लिया था। ___पुत्र माँ को आवाज देता है, किन्तु दूसरी ओर से कोई उत्तर नहीं आता। पुत्र माँ को आवाज देता ही रहता है, किन्तु सब व्यर्थ है। घर में पड़ोसियों का आना शुरू हो जाता है। इस प्रकार स्पष्ट हो जाता है कि धन किस प्रकार उस महिला के प्राण बने हुए थे। चोर ने उस महिला का धन नहीं हरा बल्कि धन के रूप में उसके प्राणों को ही हर लिया था।
चोरी अनेक बुराइयों की जड़ है। चोरी करने वाले को राजदण्ड मिलता है। संसार में अपयश फैलता है। चोरी का पैसा बड़ा दुःखदाई होता है। जैसे-जोंक गंदा खून पीकर मोटी हो जाती है, किन्तु अब जुखयारा खून खींचता है तब वह बहुत कष्ट पाती है। इस प्रकार चोरी करके ध न इकट्ठा करते हैं। लेकिन जब पुलिस पीटती है तब बहुत कष्ट पाता है। इसलिए चोरी कभी नहीं करना चाहिए। चोर के बहुत क्रूर परिणाम होते हैं, हर समय दूसरों को ठगने के भाव रहते हैं। हर समय चोर को भय बना रहता है कि कहीं मेरी चोरी न खुल जाए। चोरी करने वाले अक्सर जेब भी काटते हैं, किन्तु पकड़े जाने पर कभी इतने पिटते हैं कि उनकी मृत्यु तक हो जाती है। चोर मनुष्य प्रायः धन की कमी के कारण परिश्रम से बचने के लिए चोरी करता है, किन्तु सर्वथा ऐसा भी नहीं है। क्योंकि ऐसा देखने में आता है कि बहुत गरीब स्त्री-पुरुष अनेक कष्ट होने पर भी चोरी, बेइमानी, अनीति, अन्याय, धोखा, रिश्वत आदि से बचे रहते हैं। दूसरी
ओर बहुत से धनिक भी लोभ में पड़कर काला बाजार करते हैं, इधर से उधर माल भेजते हैं। दृष्टव्य है कि ऐसे व्यक्ति भले ही कुछ समय तक दूसरे की आँखों में धूल झोंकते रहें, पर अन्त में पकड़े जाते हैं।
विश्वासघात का परिणाम जैनकथा ग्रन्थों में श्रीभूति पुरोहित की कथा बहुत प्रसिद्ध है। श्रीभूति नामक व्यक्ति किसी नगर में राजपुरोहित था। शास्त्रों का ज्ञाता था। सत्य को धारण किये हुए था। इसलिए सत्यघोष नाम से भी विख्यात था। इसका सभी विश्वास व आदर करते थे। एक बार एक वणिक पुत्र समुद्र यात्रा के लिए जाते समय अपने बहुमूल्य सात रत्न सत्यघोष के पास रख जाता है। लौटते समय समुद्र में तूफान आ जाने से उसका सब कुछ नष्ट हो जाता है। किसी तरह अपने प्राण ही बचा
-
300
-