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________________ क्या वे किसी भूखे की भूख मिटा सकते हैं? यदि नहीं तो अच्छा ही होता कि बम न बनाते । जो जीवन दे नहीं सकता उसे किसी का जीवन लेने का अधिकार नहीं है। शान्ति की दिशा में अहिंसा ही हमें आध्यात्म की ओर ले जा सकती है। जो कार्य विज्ञान आज तक नहीं कर का, उसे प्राचीन काल से ही आध्यात्म योगी अहिंसा के माध्यम से करते आये हैं। इस प्रकार मनुष्य का भविष्य अहिंसा धर्म के ही हाथों में सुरक्षित है, भौतिक विज्ञान मनुष्य को शान्ति और स्थायी सुख नहीं प्रदान कर सकते अपितु मृत्यु के द्वार पर ले जाकर खड़ा कर सकते हैं। इसलिए अहिंसा को धारण करने के लिए हमें हिंसा से विरक्त होने की भावना भानी चाहिए। इस सन्दर्भ में आचार्य उमास्वामी कहते हैं कि हिंसादिष्विहामुत्रापायावद्यदर्शनम् । - तत्त्वार्थसूत्र अ. 7/9 हिंसा आदि पाँच पापों से इस लोक में तथा परलोक में नाश की, अर्थात् दुःख, आपत्ति, भय तथा निद्यं गति की प्राप्ति होती है - ऐसा बारम्बार चिन्तन करना चाहिए । आचार्य आगे कहते हैं कि दुःखमेव वा। - तत्त्वार्थसूत्र अ 7/10 ये हिंसादिक पाँच पाप दुःख रूप ही हैं ऐसा विचारना चाहिए। तभी हम अहिंसा को धारण कर सकते हैं। अहिंसा निरोगता का कारण है- जो जीव हिंसा नहीं करते, अहिंसक हैं, वे अपना भोजन बहुत सादा रखते हैं, शुद्ध शाकाहार भोजन करते हैं। अतः वे अधिक आयु वाले व निरोगी होते हैं। भारत सरकार द्वारा प्रकाशित हैल्थ बुलेटिन नं. 23 के अनुसार माँसाहारी खाद्य पदार्थों की अपेक्षा शाकाहारी खाद्य पदार्थों में प्रोटीन आदि सभी पौष्टिक तत्त्व अधिक मात्रा में व सस्ते रूप में पाये जाते हैं। अब तक इंग्लैंड, अमेरिका आदि में हुई नई वैज्ञानिक खोजों ने व रासायनिक परीक्षणों ने अब यह भली-भाँति सिद्ध कर दिया कि माँसाहार में निम्न आठ प्रकार के विष पाये जाते हैं (1) कोलोस्ट्रोल, (2) यूरिक ऐसिड, (3) यूरिया, (4) मर्करी, (5) डी.डी.टी., (6) पी. सी.बी., (7) डी.ई.एस., (8) एम. ए. जी. ए. । इन विषों के कारण कई भयंकर रोग उत्पन्न हो जाते हैं-जैसे, दिल की बीमारी, हाई ब्लडप्रेशर, टी.बी., आँतों में कैंसर, हड्डियों का कमजोर होना, पेट में सड़न, गुर्दे में पथरी का 286
SR No.010095
Book TitleJain Darshansara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain, Nilam Jain
PublisherDigambar Jain Mandir Samiti
Publication Year2003
Total Pages458
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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