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एकाकी निःस्पृह शान्तपाणि पात्रो दिगम्बर। कदा शम्भो भविष्यामि कर्मनिर्मूलनक्षमः॥
-वैराग्य शतक, 58 हे शम्भो! मैं कब अकेला कामना रहित, शीलव्रती करपात्री, दिगम्बर और भव बन्धन को
निर्मूल करने वाला होऊँगा। 2. बौद्ध मत में-बौद्धमत की नींव डालने वाले महात्मा बुद्ध ने सबसे पहले आत्मशुद्धि के
लिए नग्न-दिगम्बर साधु चर्या का पालन किया था। जब इस वेश में उन्हें बहुत कठिनाई उत्पन्न हई तो उन्होंने वस्त्र धारण कर लिये थे। बौद्ध ग्रन्थों त्रिपिटक आदि में दिगम्बर
मुनियों के बहुत जगह उल्लेख मिलते हैं। 3. ईसाई मत में-ईसाईयों में नग्न निर्विकार रूप को महत्त्व दिया जाता है। बाइबिल में लिखा
है कि ईसा ने अपने कपड़े उतार दिये थे और हजरत सैमुअल को भी नग्न रहने की शिक्षा
दी थी। 4. इस्लाम मत में-तुर्किस्तान में अबदल नाम मादर जात नग्न रहकर अपनी साधना में लीन
रहते थे। मनस्वी नामक ग्रन्थ के रचयिता श्री जलालुद्दीन रूमी दिगम्बर का खुला उपदेश इस प्रकार हैनग्न रहना अच्छा है। वस्त्रधारी को हर समय धोबी की चिंता लगी रहती है।
- मनस्वी-जिल्द जिल्दर सफा (262), सफा 382, 3831 मुसलमानों में सबसे ऊँची श्रेणी के अनेक फकीर बिल्कुल नग्न ही रहते थे। 5. यहूदियों में-यहूदियों में भी नग्नता को महत्त्व दिया जाता है- पृष्ठ 32 पर लिखा है
कि-"जिसका भाव यह है कि यहूदियों में भैरार्ज का विश्वास करने वाले जो पहाड़ों पर आबाद हो गये थे, लंगोट तक त्यागकर बिल्कल नग्न रहते थे।"
__ अढाई द्वीप में मुनि की संख्या अढाई द्वीप में तीन कम नौ करोड दिगम्बर मुनिराजों की संख्या का क्रम निम्न प्रकार हैछठे गुणस्थान में
593,98206 सातवें गुणस्थान में
29699,103 आठवें, नवमें, दसवें, ग्यारहवें गुणस्थान में
1,196 (उपशम श्रेणी की अपेक्षा)
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