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यदि जीवन में संयम को धारण नहीं किया तो जीवन व्यर्थ है, इसके महत्व को समझने के लिए निम्न दृष्टान्त को ध्यान से समझना होगा
एक नगर में एक बड़ा साहूकार रहता था। एक मोटर कम्पनी का एजेन्ट इस साहूकार के पास जाता है। साहूकार से कहने लगा सेठ जी, हमारी कम्पनी में कारें बनती हैं, आप बहुत बड़े साहुकार हैं। कृपया आप हमारी कार खरीद लीजिए। साहूकार कहने लगा कि पहले कार की कीमत और गुण बताइये। एजेन्ट कहता है कि हमारी कार पहाड़ी इलाकों में ठीक चलती है, पैटोल कम खाती है. सीटें भी बडी सन्दर हैं, और देखने में भी बड़ी अच्छी है। ___साहूकार कहता है कि ये सब तो ठीक है किन्तु यह बताओ कि इसके ब्रेक भी ठीक हैं कि नहीं। कार वाला कहता है कि ब्रेक कुछ कम लगते हैं। साहूकार बोला-तुम्हारी कार की कीमत तथा गुण कुछ नहीं है। यह कार पहाड़ी इलाके में मार सकती है। यदि तुम्हारी कार में कितने ही गुण हो अगर ब्रेक ठीक नहीं तो कुछ भी नहीं है। ठीक इसी प्रकार व्यक्ति यदि देखने में कितना भी सुन्दर क्यों न हो यदि उसके जीवन में संयम नहीं तो उसकी कोई कीमत नहीं। संयम जीवन में महान होता है। अतः सभी मनुष्यों को जीवन में शक्ति अनुसार संयम धारण करना चाहिए। ___ जैसा कि पूर्व में बताया जा चुका है कि गृहस्थों के चारित्र को एकदेश चारित्र कहते हैं तथा इससे पाँच अणुव्रत, तीन गुणव्रत तथा चार शिक्षाव्रतों का समावेश होता है, जिसका वर्णन निम्न प्रकार से किया जाता हैपाँच अणुव्रतों का स्वरुप-आचार्य समन्तभद्र कहते हैं कि
प्राणातिपातवितथव्याहारस्ते यकाममूछे भ्यः।
स्थूलेभ्यः पापेभ्यो व्युपरमणमणुवतं भवति॥ मारने के संकल्प से त्रस जीवों की हिंसा का त्याग, स्थूल हिंसा त्याग है। जिस वचन से अन्य प्राणी का घात हो जाये, धर्म बिगड़ जाये, अपवाद या निन्दा हो जाये, कलह-संक्लेश, भय आदि प्रकट हो जाये-ऐसा वचन क्रोध, अभिमान के वश होकर कहने का त्याग करना, वह स्थूल असत्य का त्याग है। बिना दिये किसी अन्य के धन के लोभ के वश होकर व छल-कपट करके ग्रहण करने का त्याग करना, वह स्थूल चोरी का त्याग है। अपनी विवाहित स्त्री के सिवाय अन्य समस्त स्त्रियों में काम भाव की अभिलाषा का त्याग करना वह स्थूल काम त्याग है। दस प्रकार के परिग्रह का प्रमाण करके अधिक परिग्रह के ग्रहण करने का त्याग करना, वह स्थूल परिग्रह त्याग है। इस प्रकार इन पाँचों पापों का त्याग करना ही पाँच अणुव्रतों का पालन कहलाता है। पाँचों अणुव्रतों के स्वरुप का विशेष स्पष्टीकरण निम्नप्रकार है
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