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शील पर अवश्य मैंने झूठा कलंक लगाया होगा अथवा उनका अनादर किया होगा। उस दुष्ट कर्म के कारण जहाँ भी जाती हूँ, वहाँ मेरे ऊपर ऐसी विपत्ति आ रही है। परन्तु अब मैंने वीतराग ध म की शरण ली है, इसके प्रताप से शीलव्रत से मैं डगमगाऊँगी नहीं। भले ही प्राण चलें जायें, परन्तु मैं अपने शील को नहीं छोडूंगी। तब उसने भील से कहा- “अरे दुष्ट! अपनी दुर्बुद्धि को छोड़। तेरे धन-वैभव में मैं ललचाने वाली नहीं हूँ। तेरे वैभव को मैं धिक्कारती हूँ।"
अनन्तमती की यह दृढ़ता देख भील राजा को गुस्सा आया और निर्दयता पूर्वक उस पर बलात्कार करने के लिए तैयार हुआ। इतने में अचानक मानों आकाश चीर कर एक महादेवी वहाँ प्रगट हुई। उस देवी का तेज वह दुष्ट भील सहन नहीं कर सका, उसके होश उड़ गये और हाथ जोड़कर क्षमा याचना करने लगा। देवी ने कहा - "यह महान शीलवती सती है, यदि तू उसे जरा भी सतायेगा तो तेरी मौत आ जायेगी।"
अनन्तमती के शीश पर हाथ रख कर उसने कहा-"बेटी! धन्य है तेरे शील को, तू निर्भय रह। शीलवान सती को एक बार भी कोई दोष लगाने में समर्थ नहीं।" इतना कहकर वह देवी अदृश्य हो गयी। ___भयभीत होकर उस भील ने अनन्तमती को गाँव के एक सेठ को बेच दिया। वह सेठ प्रथम तो कहने लगा कि वह अनन्तमती को उसके घर पहुंचा देगा, परन्तु वह भी अनन्तमती का रूप देख कर कामान्ध हो गया और कहने लगा – “हे देवी ! अपने हृदय में मुझे स्थान दे और मेरा यह अपार वैभव तू भोग।" उस पापी की बात सुनकर अनन्तमती स्तब्ध रह गयी “अरे! यह क्या हो गया?"
वह सेठ को समझाने लगी –“अरे सेठ! आप तो मेरे पिता तुल्य हैं। दुष्ट भील के पास से यहाँ आई तो समझने लगी थी के मेरे पिता मुझे मिल गये और आप मुझे मेरे घर पहुँचायेंगे। अरे! आप भले आदमी होकर भी ऐसी नीच बात क्यों कर रहे हो? यह आपको शोभा नहीं देता, इसलिए आप इस-बुद्धि को छोड़ दीजिये।"
बहुत समझाने पर भी दुष्ट सेठ नहीं समझा तो अनन्तमती ने विचार किया कि इस दुष्ट पापी का हृदय विनय-प्रार्थना से नहीं पिघलेगा। इसलिए क्रोधित होकर उस सती ने कहा -"अरे दुष्ट कामान्ध! दूर हो जा मेरी आँखों के सामने से मैं तेरा मुख भी देखना नहीं चाहती।" उसका क्रोध देख कर सेठ भी भयभीत हुआ और उसकी अक्ल ठिकाने आ गई, परन्तु बदले की भावना से क्रोधित होकर उसने अनन्तमती को कामसेना नामक वेश्या को सौंप दिया। __ अनन्तमती के अन्तःकरण में वेदना का पार नहीं रहा, परन्तु अपने शीलव्रत में वह अडिग रही। संसार के वैभव को देख कर वह बिलकल ललचाई नहीं।
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