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________________ व्यवहारसंवर-आचार्य कुन्दकुन्द वारस अणुवेक्खा में कहते हैं पंचमहव्वयमणसा अविरमणणिरोहणं हवे णियमा। कोहादि आसवाणं दाराणि कसायरहिय पल्लगेहि॥62 अहिंसादि पंचमहाव्रत रूप परिणामों द्वारा हिंसादि पंच आम्रवों का आगमन निश्चयपूर्वक रोक दिया जाता है। क्रोधादि कषाय रहित परिणामों के द्वारा क्रोधादि कषायों का द्वार रोक दिया जाता है अर्थात् पंच महाव्रत के पालन करने से पंच पापों का संवर हो जाता है और क्रोधादि कषायों का निरोध करने से कषाय संवर हो जाता है। आचार्य कुन्दकुन्द आगे कहते हैं सुहजोगस्स पवित्ती संवरणं कुणदि असुहजोगस्स। सुहजोगस्स णिरोहो सुद्धवजोगेण संभवदि। (वारस अणुवेक्खा) मन, वचन की शुभ प्रवृत्ति से अशुभ योगों के द्वारा होने वाला कर्म आस्रव रुक जाता है और जब शुद्धोपयोग में प्रवृत्ति होती है तो शुभ योगों का भी निरोध हो जाता है। सिद्धान्त में संवर के साधन व्रत, समिति, गुप्ति, दश धर्म, बारह भावना, बाईस परीषह जय चारित्र तथा तप को बताया गया है। हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील, और परिग्रह इन पंच पापों के त्याग रूप अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य, तथा परिग्रह त्याग ये पांच व्रत हैं। गृहस्थ इनका पालन एकदेश से करते हैं साधु इनका पालन पूर्ण रूप से किया करते हैं। पांच समितियां-इन पंचमहाव्रतों की रक्षा हेतु पंचसमितियों का पालन साधु किया करते हैं। प्रमाद रहित प्रवृत्ति को समिति कहते हैं-ये पांच हैं1. ईर्या समिति-जीव जन्तु रहित प्रासुक तथा रौंदी हुई भूमि पर दिन के समय चार हाथ प्रमाण आगे देखकर चलना। अच्छी तरह देखकर मन को स्थिर कर गमनागमन करना। 2. भाषा समिति-हित, मितवचन बोलना। आगम से अविरुद्ध, पूर्वापर सम्बन्ध से रहित, निष्ठुरता, कर्कश आदि दोषों से रहित भाषण करना। 3. एषणा समिति-शुद्ध भोजन भिक्षावृत्ति से शास्त्रोक्त मर्यादानुसार (छयालीस दोष और बत्तीस अंतराय टालकर) ग्रहण करना। 4. आवान निक्षेपण समिति-किसी भी वस्तु को देखभाल कर शुद्ध, प्रासुक निर्जन्तु भूमि पर-पिच्छिक से शोधन कर यत्नपूर्वक वस्तु को उठाना और रखना। 5. प्रतिष्ठापन या उत्सर्ग समिति-मल, मूत्रादि को देखभाल कर शुद्ध, प्रासुक निर्जन्तु भूमि पर त्याग करना। 102)
SR No.010095
Book TitleJain Darshansara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain, Nilam Jain
PublisherDigambar Jain Mandir Samiti
Publication Year2003
Total Pages458
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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