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जैन दर्शन है-प्रत्यक्ष केवल-भान तक पहुंचने के लिए ये एक प्रकार की सीढ़ियां हैं। चूंकि पवार्य शान का सही लक्षण बाधा का अभाव है और एक बाधा अवधि तपा मनःपर्याय में मन के रूप में उपस्थित रहती है, इसलिए माना जाता है कि इनसे प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता।