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________________ 184 जैन दर्शन 36,164 विरत्न 160 विशला 23 बॉमस एडवर्ड 15 थियोसोफिस्ट मत 101 थीबो जी. 124 दर्शन 49-53,82-85 दासगुप्त एस. एन. 3,8,15,39,74, 131,136 दिक 91 दिगंबर 18,21,22,24,25,27 एष्टांत 73 देरवासी 25 देव 26,36,123 देवगति 123 देवता 4,146 देवानन्दा 23 द्रव्य 110,112,114,118,119, 130,138 द्वैत 183,116,117 द्वैत तत्त्व मीमांसा 117 धर्म 4,11,20,91,109,110,119, 129,170 धर्मास्तिकाय 129 धर्मिन् 73,74 धारणा 54,57,63 ध्यान 165 ध्र व 110,111 नग्न दार्शनिक 21 नय 61,131,134,135 ऋजुसून 134 एवंभूत 135 द्रव्याधिक 112,133 पर्यावाधिक 112,133 व्यवहार 133 संग्रह 132,133 नयवाद 131,136,137 नागराज शर्मा आर. 117 नातपुत्त 5,10 नास्तिक 34,36 निगण्ठ 5 निगमन 73 नियति 37 निग्रंथ 56 निर्जरा 155,159,161 निलिप्त 17 निर्वाण 16,18,165 नेमि 12 नेमिचन्द्र 51 नैगमन 74 नैगमाभास 132 नैयायिक 36 नो-इन्द्रिय 78 न्याय 36,73,74 न्याय कल्पित 72 न्याय नियत 72 न्याय वैशेषिक 74,77,132 पदार्थ 132,133,148 पदार्थानुभूति 77 पपराजिह 111,118,132,134 परम 115 परमाणु 128 परमात्मन् 164 परानुमान 71,72 परिज्ञान 121 परिणाम 113 परिमित अपरिग्रह 150 परोक्ष 44,47,59,71
SR No.010094
Book TitleJain Darshan ki Ruprekha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorS Gopalan, Gunakar Mule
PublisherWaili Eastern Ltd Delhi
Publication Year
Total Pages189
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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