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________________ शब्दानुक्रमणिका 183 क्रियावाद 28 क्षपक श्रेणी 168 क्षमता 97 क्षायिक सम्यग्दृष्टि 167 क्षायोपशयिक 167 खारदिएर यार्ल 15,26,27 गणधर 27 गांधी महात्मा 146 गाई आर. 35,36,116 गुणस्थान (प्रकार) 166-169 गुप्ति 10,162 गौप्यसंघ 25 गौशाल 6,17,29 ग्लासेनप्प एच. बी. 124,154 चक्रवर्ती ए. 128 चातुर्याम 16 चार्वाक 34,91,97,133,136 चित्त 80 चिन्ता 85 चेतनता 104 चेतना 49,50,55,82,83,85,96, 100,109,121,132 चेतना का सातत्य 145,173 चेतना की शुद्धता 86,155,169 जमालि 6,29 जातक 29 जिन 6,12,39 जिनभद्र 58,94 जिनसेन 36 जिम्नोसोफिस्ट 21 जीव 34,46,66,80,86,90,105, 109,110,112,119-1221 124-129,152-161,185, 166,168,169,173,174 जीवन-मृत्यु (का चक्र) 35,124 जीवात्मा 100,105,146,152,157 जीवास्तिकाय 129 जेम्स विलियम 97,98 जैन तत्त्वमीमांसा 34,112,136 जैन तर्कशास्त्र 73 जैन दर्शन 46,71,77,104,109, 110,113,126 जैन धर्म 3-12,14,15,21,26,29, 31,34,35,101 जैन धर्मग्रंथ 1,24,31,34 जैन धर्म स्रोतग्रंथ 27 जनमत 111,123 जैन मनोविज्ञान 34 जैन वास्तववाद 109,110,126 जैन सत्तामीमांसा 113,124 जैन साहित्य 16 जैन शान मीमांसा 34 ज्ञातृ क्षत्रिय 5 ज्ञान 43,44,49-51,82-85,91, 94,119 ज्ञान-चार स्तर 58 ज्ञान प्राप्ति 83 ज्ञात 5 ज्ञातपुत्र 5 झिम्मेर 20,21 ठाकुर एस. सी. 145 तत्त्वमीमांसा 109 तथागत 6 तातिया एन. 50,59,92 तादात्म्य 117 तादात्म्य और अंतर 117 तादात्म्य और परिवर्तन 118 तीर्थकर 5,6,12,14,16-18,23-26,
SR No.010094
Book TitleJain Darshan ki Ruprekha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorS Gopalan, Gunakar Mule
PublisherWaili Eastern Ltd Delhi
Publication Year
Total Pages189
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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