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जैन दर्शन के मौलिक तत्त्व
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है जो वेतन और अचेतन-पुद्गल के विविध जातीय संयोग से स्वयं प्रगट
होती है ।
नं०
१
२
वाद
जड़ाद्वैतवाद
जड़ चैतन्याद्वैतवाद
चैतन्याव तबाद
( विवर्तवाद) १३२
४
श्रारम्भबाद
५ परिणामवाद
६ प्रतीत्यसमुत्पादवाद
७
सापेक्ष-सादि- सान्तवाद
दृश्य जगत् का कारण क्या है ?
जड़पदार्थ
जड़-चैतन्ययुक्त पदार्थ
ब्रह्म
-क्रिया
परमाणु
प्रकृति
अव्याकृत ( कहा नहीं जा सकता ) जीव और पुद्गल की वैभाविक पर्याय ।