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तेईस
१५०-१०२
जातिवाद मनुष्य जाति की एकता
कर्म विपाक कृत उच्चता-नीचता
जाति और गोत्रकर्म
तत्त्व दृष्टि से जाति की असारता
जाति-गर्व का निषेध
जाति-मद का परिणाम
जाति परिवर्तनशील है।
पुरुष त्रिवर्ग
चतुर्वर्ग
घृणा पाप से करो पापी से नहीं ?