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[ १६१ ] अनेक सर्वशों में से सत्य कौन है ? यह निर्णय करना दुह सा हो रहा था। क्योंकि एक दूसरे के सिद्धान्त और सर्वशता का खण्डन करना तो सहज सा बन गया था। — सत्य सुखद होता है, पर उसमें आकर्षण नहीं होता। असत्य मुखद मले . ही न हो, पर होता है वह आकर्षक। चाकचिक्य युक्त और आकर्षक आवेष्टनों से वह आवेष्टित होता है।
आकर्षणहीन पथरीले, पर गन्तव्य को शीघ्र पहुंचाने वाले पथ पर चलता हुआ पथिक, यदि मोहक वृक्षावलियों से युक्त नाना पुष्पों की परिमल को वहन करने वाली समीर-लहरी से संयुक्त, पर पथिक को मंजिल से भटका देने वाले मार्ग में लुभा जाए तो आश्चर्य ही क्या ? निम्नोक्त प्रकरण में इस तथ्य के स्फुट दर्शन होते हैं। • ऐमा मैंने सुना'-एक बार भगवान वैशाली की कुटागारशाला में विहार करते थे। उस समय गणराज्य-भवन में एकत्रित हुए, प्रतिष्ठित लिच्छवि भगवान् की प्रशंसा कर रहे थे। निगण्ठों का श्रावक सिंह सेनापति भी वहाँ उपस्थित था। उमने मोचा-निश्चय ही वह भगवान अर्थत् सम्यक मम्बुद्ध होंगे। तभी तो ये प्रतिष्ठित-प्रतिष्ठित लिच्छवि, इनकी प्रशंसा करते है। मुझे भी उनके दर्शनों से लाभान्वित होना चाहिये-यह सोच वह निगण्ठ नाथपुत्त के पाम गया और गौतम के दर्शनार्थ जाने की भावना व्यक्त की।
"सिंह ! क्रियावादी होते हुए भी हूँ अक्रियावादी गौतम के पास जाएगा ? वह अक्रियावादी है। लोकों को अक्रियावाद का उपदेश देता है।" यह सुन सिंह की वहाँ जाने की भावना शान्त हो गई। फिर दूसरी बार, तीसरी बार भी उसने लिच्छवियों से भ• बुद्ध की प्रशंसा सुनी। जिगमिषा ने मन को
१-अंगुत्तर निकाय ८-१-२-२ २-वैशाली बजी-जनपद की राजधानी थी जो वर्तमान में बिहार
प्रान्त के मुज्जफरपुर जिले के अन्तर्गत 'बसाठ' गाँव के रूप में मानी जाती है। उस समय वहाँ लिच्छवियों का गणतंत्र राज्य था। जनसंख्या की वृद्धि के कारण, नगर-माकार को तीन बार विशाल बनाने के कारण, इसका नाम बैशाली पड़ा। प्राचीन जैन मान्यतानुसार वैशाली में भ० महावीर का ननिहाल था। वर्तमान इतिहासकार बैशाली को भ० महावीर की जन्मभूमि के रूप में स्वीकार करते हैं।