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[ 8 ] ऐसा मैंने इसलिए किया है कि जेन-दर्शन के प्रणेता एक ही है। जो तब उनके एक वाक्य से स्पष्ट होगा वही अनेक से भी। __ लेकिन पाश्चात्य-दर्शन किसी एक व्यक्ति का दर्शन नहीं है। एक व्यक्ति के विचार समस्त पाश्चात्य दर्शन का प्रतिनिधित्व नहीं करते। इसलिए मैंने एक ही तथ्य को व्यक्त करनेवाले अनेक दार्शनिकों के विचारों को उल्लिखित करना उचित समझा। यह तथ्यों की एकता प्रत्येक व्यक्ति को . देश-काल की दूरी मिटाकर आन्तरिक एकता की प्रतीति करने का संकेत करती है ; जिससे कि सत्य की समप्रता पाई जा सके।