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________________ खण्ड] * हिंसाका स्वरूप * ६७ शूरवीर थे और जिन्होंने अपने पराक्रमसे देशको तथा अपने राज्यको इतना समृद्ध और सत्त्वशील बनाया था, उस धर्मके प्रचारसे देश और प्रजाकी अधोगति किस प्रकार हो सकती है ? कायरता या गुलामीका मूल कारण अहिंसा कदापि नहीं हो सकती । जिन देशों में हिंसा खूब जोर-शोर से प्रचलित है, जिस देश के निवासी अहिंसाका नामतक नहीं जानते, केवल मांस ही जिनका प्रधान आहार है और जिनकी वृत्तियाँ हिंसक पशुओं से भी अधिक क्रूर हैं, क्या वे देश हमेशा आजाद रहते हैं ? रोमन साम्राज्यने किस दिन अहिंसाका नाम सुना था ? उसने कब मांस भक्षणका त्याग किया था ? फिर वह कौनसा कारण था, जिससे उसका नाम दुनिया के परदेसे बिलकुल मिट गया । तुर्क प्रजाने कब अपनी हिंसक और क्रूर वृत्तियों को छोड़ा था ? फिर क्या कारण है कि आज वह इतनी मरणोन्मुख दशा में अपने दिन बिता रही है ? स्वयम् भारतवर्षका ही उदाहरण लीजिये | मुग़ल सम्राटोंने किस दिन अहिंसाकी आराधना की थी ? उन्होंने कब पशुबधको छोड़ा था ? फिर क्या कारण है कि उनका अस्तित्व नष्ट हो गया ? इन उदाहरणोंसे स्पष्ट जाहिर होता है कि देशकी राजनैतिक उन्नति और अवनति में हिंसा अथवा अहिंसा कोई कारणभूत नहीं है । देश क्यों गुलाम होते हैं ? जातियाँ क्यों नष्ट हो जाती हैं ? साम्राज्य क्यों बिखर
SR No.010089
Book TitleJail me Mera Jainabhayasa
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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