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खण्ड
* चक्रवर्ती-वासुदेव बलदेव .
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जब चक्रवर्ती गर्भ में आते हैं, तब इनकी स्वप्न देखती हैं। स्वप्न वही होते हैं जो तीर्थंकर की हैं। इनके अतिरिक्त बहुत सी ऋद्धियाँ होत उपर्युक्त ऋद्धियोंको त्याग कर संयम लेते हैं मोक्षको प्राप्त करते हैं और जो राज्य करते हैं, वे नरकमें जाते हैं। इनके समयमें साधु और पाँचों गतिमें जानेवाले जीव होते हैं।
वासुदेव-पूर्व भव में निर्मल तप संयम हैं और वहाँसे आयु पूर्णकर बीच में एक भव करके उत्तम कुल में जन्म लेते हैं। जब जन्म मातेश्वरी सात स्वप्न देखती हैं। शुभ रह वस्थाको प्राप्त करते हैं और बादमें राज्य वासुदेवपदकी प्राप्ति होनेपम् न्हें सात रत्न हैं:-(१)सुदर्शनचक्र, (२) अमोघखङ्ग, ( ६ ) काम (४) पुष्पमाला, (५) धनुष्य अमोघवाण, (६) कौस्तुभ
और (७) महारथ । ये महाबलवान् और महासुन्दर हा इनकी ऋद्धि व सिद्धि चक्रवर्तीसे आधी होती है । ___वासुदेवके जन्मसे पूर्व पृथ्वीपर प्रतिवासुदेव र है। यह भी पुण्यवान और वैभव सहित होता है, कम होता है। वासुदेव प्रतिवासुदेवको मारकर अधिकारी बनता है और तीन खण्डमें स्क रा