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४०० * जेल में मेरा जैनाभ्यास * [तृतीय उसे स्वयम् साफ कर देते हैं। आदि अनेक गुणयुक्त भरिहन्त भगवान होते हैं।
इनके अलावा किसी प्रकारका भगवानमें दोष नहीं होता है। जैसे-कभी क्रोध नहीं करते अर्थात् सदा शान्त रहते हैं । मान, माया, लोभ रहित होते हैं अर्थात् सर्वथा अभानी, अमायावी, अलोभी होते हैं। कभी असत्य नहीं बोलते अर्थात् सदा सत्यभाषी होते हैं । भय नहीं करते अर्थात् सदा अभय होते हैं । किसी प्रकार की हिंसा नहीं करते। क्रीड़ा नहीं करते अर्थात् सर्व प्रकारकी क्रीड़ाके भगवान् त्यागी होते हैं ।
भगवान् सदा ज्ञानवन्त, माहात्म्यवन्त, यशस्वी, वैराग्यवन्त, रूपवन्त, वीर्यवन्त, प्रयत्नवन्त, उत्साही और अनेक गुण युक्त होते हैं।
तीर्थंकर भगवानके पाँच कल्याणक अथवा महा शुभ समय बताये गये हैं:
१-अवतरनेको 'च्यवन कल्याणक', जन्मको 'जन्म कल्याणक', दीक्षाको 'दीक्षा कल्याणक', केवलज्ञान उत्पन्न होनेको 'केवलज्ञान कल्याणक' और मोक्ष पधारनेको 'मोक्ष कल्याणक' कहते हैं।
शासकारोंने 'णमो अरिहंताण'का शब्दार्थ संक्षिप्तमें निम्न प्रकार किया है: