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________________ परमेष्ठी अधिकार | न दर्शन में पाँच परमेष्ठी माने गये हैं। इनके जपसे अथवा स्मरण से मोक्ष पद तककी प्राप्ति होती है तो फिर सांसारिक मनोऽभिलषित पदार्थोंकी प्राप्ति हो तो इसमें आश्चर्य ही क्या है ? पञ्च परमेष्ठी में-- पाँच पदोंमें समस्त धर्मात्मा का समावेश हो जाता है । उन पाँचों परमेष्ठियोंका, जिसमें नमस्कार पूर्वक उल्लेख है, सूत्र निम्न प्रकार है। उसमें पाँचों परमेष्ठियों को नमस्कार अथवा वन्दना भी है: " णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाएं, णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं ।” इसमें पहिले पदमें संसार में जितने अरिहन्त हैं, उनकी वन्दना; दूसरे में जो आत्मायें सिद्ध अथवा भगवान् हो गये हैं, उनकी वन्दना; तीसरे में संसारमें जितने श्राचार्य महाराज हैं, उनकी वन्दना; चौथे में संसार में जितने उपाध्यायजी हैं, उनकी वन्दना और पाँचवें में संसार में जितने साधु-मुनि हैं, उनकी वन्दना की जाती है। यह अर्धमागधी भाषाका सूत्र है । यहाँ यह प्रश्न स्वयम् उठता है कि इन आत्मायोंके क्या गुण हैं जिनकी वजह से ये वन्दनीय माने गये हैं ? इस कारण यह
SR No.010089
Book TitleJail me Mera Jainabhayasa
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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