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खण्ड ]
* मुमुक्षुओंके लिये उपयोगी उपदेश *
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३ – जिस आसनपर स्त्री बैठी हो या सोई हो उस श्रासनका दो घड़ी के लिये त्याग करना चाहिये ।
४ – स्त्रियों के श्रङ्गोपाङ्गोंको ध्यानपूर्वक न देखना चाहिये । इसके अलावा स्त्रीके स्वरूपको ध्यान तकमें न लाना चाहिये ।
५ - जिस घर में स्त्री-पुरुष सोते हों या जिस जगहसे हावभाव-विलास हास्यादिकी आवाज सुनाई देती हो, वहाँ दोबारका अन्तर न होनेपर ब्रह्मचारीको नहीं रहना चाहिये ।
६ - पूर्व काल में स्त्रीके साथ जो क्रीड़ा आदि की हो, उसका स्मरणमात्र भी नहीं करना चाहिये ।
७- अत्यन्त स्निग्ध आहार - जिस पदार्थ के सेवन से कामीद्दीपन होने की सम्भावना हो, का त्याग करना चाहिये ।
- ज्यादा आहार न करना चाहिये ।
६-- आभूषण, सुन्दर वस्त्र, स्नान, मञ्जन और अङ्ग- शोभा आदिका भी ब्रह्मचारीको त्याग करना चाहिये ।
जो व्यक्ति इन नौ मर्यादाओंका ध्यानपूर्वक पालन करेगा, वही ब्रह्मचर्यको पाल सकता है।
गृहस्थ में पुरुषको स्वदार - सन्तोष व्रत और स्त्रीको स्वपुरुषसन्तोष व्रत धारण करना चाहिये। जो लोग विषयाकुल हों, मनसे भी शीलका खण्डन करते हों, वे 'मणिरथ' राजाकी तरह घोर नरक