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________________ खण्ड * नवतत्त्व अधिकार * - १०-संसारमें सबसे थोड़े मनःपर्यवज्ञानी जीव है; इनसे असंख्यातगुणे अवधिज्ञानी जीव हैं; मति और श्रतज्ञानी इनसे असंख्यातगुणे हैं, पर अापसमें तुल्य विशेषाधिक हैं और केवल. ज्ञानी जीव अनन्तगुणे हैं। ११-संसारमें सबसे थोड़े विभङ्गज्ञानी; इनसे मति-श्रुत अज्ञानी अनन्तगुण हैं, पर परस्पर तुल्य विशेषाधिक हैं। १२-संसारमें सबसे थोड़े मनोयोगी जीव हैं: इनसे असंख्यातगुणे वचनयोगी जीव हैं; अयोगी जीव अनन्तगुण हैं और काययोगी जीव भी अनन्तगण हैं। १३--संसारमें सबसे थोड़े जीव साकारोपयुक्त हैं; इनसे विशेषाधिक अनाकारोपयुक्त हैं। १४-संसारमें सबसे थोड़े पाहारिक जीव हैं। इनसे असंख्यात. गणे अनाहारिक जीव हैं। १५-संसार में सबसे थोड़े नो सूक्ष्म, नो-बादर जीव हैं। इनसे अनन्तगरणे बादर जीव हैं। सूक्ष्म जीव संख्यातगुणे हैं। १६-संमारमें सबसे थोड़े जीव अचरमी जीव हैं; इनसे अनन्तगुणं चरमी जीव हैं। संसारी जीवके गुण १-शरीर, २-अवगाहना, ३-संहनन, ४-संस्थान, ५-कषाय, ६-संज्ञा, लेश्या, 5-इन्द्रिय, ६-समुद्घात, १०-संज्ञा, ११-वेद,
SR No.010089
Book TitleJail me Mera Jainabhayasa
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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