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* जेलमें मेरा जैनाभ्यास
[द्वितीय
२-जिसके संयोगसे यह जीव जीवन अवस्थाको प्राप्त हो और वियोगसे मरण अवस्थाको प्राप्त हो, उसको 'प्राण' कहते हैं।
३-प्राण दो प्रकारके होते हैं:-एक द्रव्य प्राण और दूसरा भाव प्राण ।
(१) द्रव्य प्राण दस हैं:-मनोबल प्राण, वचनबल प्राण, कायबल प्राण, स्पर्शेन्द्रियबल प्राण, रसनेन्द्रियबल प्राण, घ्राणेन्द्रियबल प्राण, चक्षुरिन्द्रियबल प्राण, श्रोत्रेन्द्रियबल प्राण, श्वासोच्छ्वास और आयु।
(२) प्रात्माकी जिस शक्तिके निमित्तसे इन्द्रियादिक अपने कार्यमें प्रवृत्त हों, उसे 'भाव प्राण' कहते हैं।
(क) एकेन्द्रिय जीवके चार प्राण होते हैं:-स्पर्शेन्द्रिय, कायबल, श्वासोच्छ्वास और आयु ।
(ख) द्वीन्द्रियके छहः-स्पर्शेन्द्रिय, कायबल, श्वासोच्छवास, आयु, रसनेन्द्रिय और वचनबल ।
(ग) त्रीन्द्रियके सात प्राण:-उपरोक्त छह और घ्राणेन्द्रिय ।
(घ) चतुरिन्द्रिय के पाठः-उपरोक्त सात और एक चक्षुरिन्द्रियबल प्राण।