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* जेल में मेरा जैनाभ्यास *
द्वितीय
_____३-मैना-तोता आदि खेचर जीवोंके चार भेद-सैनी, असैनी, पर्याप्त और अपर्याप्त ।
४--साँप आदि उरःपरिसर्पके चार भेद-सैनी, असैनी, पर्याप्त और अपर्याप्त।
५-नौला-चूहा आदि भुजपरिसर्पके चार भेद-सनी, असैनी, पर्याप्त और अपर्याप्त ।
इस प्रकार तिर्यश्च पञ्चन्द्रियके २२+६+२० = कुल ४८ भेद हुये।
(३) मनुष्यके भेद इस प्रकार हैं:
शास्त्रकारोंने दो प्रकारकी भूमि फरमाई है--एक वह, जहाँ व्यापार, कृषि आदि कार्य होते हैं; उसे 'कर्मभूमि' कहते हैं।
और दूसरी वह, जिसमें मनुष्योंको कोई कार्य नहीं करना पड़ता है। उनकी इच्छायें कल्पवृक्षांसे पूर्ण हो जाती हैं; उसे 'अकर्मभूमि' या 'भोगभूमि' कहते हैं।
जहाँ मनुष्य पाये जाते हैं, ऐसे केवल तीन बड़े बड़े द्वीप है:
१-जम्बूद्वीप, २-धातकीखण्ड और ३-पुष्करार्धद्वीप ।
१--जम्बूद्वीपमें तीन क्षेत्र हैं। १-मरत, १-ऐरावत, और १-महाविदेड ।