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* जेलमें मेरा जैनाभ्यास *
[द्वितीय
जरायुज, अण्डज और पोत जीवोंका गर्भजन्म होता है; देव और नारकियोंका उपपादजन्म होता है और शेष समस्त जीवों का-बिच्छू, काँतर, मेढ़क आदिका सम्मूर्छनजन्म होता है ।
जीवोंके भेद शास्त्रकारोंने संसारी समस्त जीवोंको चार हिस्सों में विभाजित किया है:--
१-नारकीय, २-तिर्यञ्च, ३-मनुष्य और ४-देव ।
(१) शास्त्रकारोंने सात नरक फरमाये हैं। उनके नाम इस प्रकार हैं:
१-धम्मा, २-बंसा, ३-मवा-सीला, ४-अंजना, ५-अरिष्टा-निष्ठा, ६-मघा और 5-माधवी ।
इन सातो नरकों में रहनेवाले नारकीय जीवोंके पर्याप्त और अपर्याप्त करके कुल चौदह भेद होते हैं।
(२) तिर्यन्त्र के भेद इस प्रकार हैं:
१-पृथ्वीकायके दो भेद-सूक्ष्म और बादर। इन दोनोंके पर्याप्त और अपर्याप्त, इस तरह चार भेद होते हैं।
• 'जरायुजाएडजपोतानां गर्मः', 'देवनारकाणामुपपादा', 'शेषाणां सम्मूईनम्।
-उमास्वाति ।