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* जेल में मेरा जैनाभ्यास *
[द्वितीय
उन्हें छोड़कर आठवें गुणस्थानके बाईस हेतुओंमेंसे शेष सोलह बन्ध-हेतु नौवें गुणस्थानमें समझने चाहिये।
१०-तीन वेद तथा संज्वलन क्रोध, मान और माया, इन छहका उदय नौवें गुणस्थान तक ही होता है। इस कारण इन्हें छोड़कर शेष दस बन्ध-हेतु दसवें गुणस्थानमें कहे गये हैं।
११-१२-संचलन लोभका उदय दसवें गुणस्थन तक ही रहता है। इसलिये इसके सिवाय उक्त दसमेंसे शेष नौ हेतु ग्यारहवें तथा बारहवें गुणस्थानमें पाये जाते हैं । नौ हेतु ये हैं:चार मनोयोग, चार वचनयोग और एक औदारिकाययोग ।
१३-तेरहवें गुणस्थानमें सात हेतु हैं:-सत्य और असत्यामृषामनोयोग, सत्य और असत्यामृषावचनयोग, औदारिककाययोग, औदारिकमिश्रकाययोग तथा कार्मणकारयोग ।
१४-चौदहवें गुणस्थानमें योगका अभाव है। इसलिये इसमें बन्ध-हेतु सर्वथा नहीं है।
संक्षेप १-पहिले गुणस्थानमें पचपन बन्ध-हेतुई। २-दूसरे गुणस्थानमें पचास बन्ध-हेतु।। ३-तीसरे गुणस्थानमें तेतालीस बन्धातु हैं। ४-चौथे गुणस्थानमें छयालीस बन्धहेतु हैं।