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खण्ड]
* कर्म अधिकार * (२) नीचगोत्र-बन्धके कारण:उपरोक्त कार्योंसे उलटा करना। ८-अन्तरायकर्म-बन्धके कारण:
जो जीव न्याय-पूर्वक धर्मको बुरा बताता है, झूठ बोलता है, चोरी करता है, रात्रि-भोजन करता है, सम्यग्दर्शन-ज्ञानचारित्र रूप मोक्ष-मार्गमें दोष दिखा कर भव्य जीवोंको मार्गसे च्युत करता है, दूसरोंके दान, लाभ, भोग, उपभोगमें अन्तराय पहुँचाता है, मन्त्र-तन्त्र आदि द्वारा दूसरोंको कष्ट पहुँचोता है।
जन साधारणकी जानकारीके वास्ते कर्म-सम्बन्धी कुछ प्रश्नोंका उत्तर दिया जाता है:- १-मनुष्य किन कर्मोके फलसे पुत्रकीप्राप्ति नहीं कर पाता ?
उत्तर-पशु, पक्षी और मनुष्योंके अनाथ बच्चोंका घात करे-ज्यूँ , खटमल, मच्छर आदि को मारे-गाय, भैंस,
आदिके बच्चों को दूध न देकर खुद पूरा दूध पीले-अनाथ बच्चोंका माता व पोषकोंसे बिछोप्रा करे; इत्यादि ।
२-मनुष्य किन कर्मोके उदयसे निर्धन होता है ?
उत्तर-चोरीसे, धोखेबाजीसे, ठगईसे, जुल्मसे, हिंसाकारी कुव्यवहारों द्वारा धन उपार्जन करनेसे, धनियोंसे द्वेष करनेसे, उनको निर्धन बनानेसे, साधु होकर धन रखनेसे, धरोहर