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खण्ड
* कर्म अधिकार *
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झूठे जाल रचे-साधु आदि तथा दर्शनके साधन इन्द्रियों को नष्ट करे-चिन्ता अधिक करे; इत्यादि ।
३-वेदनीयकर्म-बन्धके कारण:( १ ) सातावेदनीय कर्म बन्धके कारणः
माता, पिता, धर्माचार्य, वृद्ध आदिकी सेवा करमा-अपने साथ हित करनेवाले के साथ उपकार करना-दीन, दुखियों के दुःखको दूर करना-कषायोंपर विजय प्राप्त करना अर्थात् क्रोध, लोभ, मान और मायासे अपनी आत्माको बचानासुपात्रको आहार देना-रोगियोंकी औषधि तथा देख-भाल का प्रबन्ध करना-जीवोंको अभयदान देना-विद्यार्थियों के वास्ते पढ़ने व खानेका प्रबन्ध करना-धर्म में अपनी आत्माको स्थिर रखना-दान देना; आदि । इन कर्मोंका उलटा करनेसे जीव असातावेदनीय कर्म बाँधता है।
(२) इनके अलावा असातावेदनीय-कर्म-बन्धके कारण:
जीवका घात करे--छेदन-भेदन आदि क्रिया करे-चुगली करे-जीवोंको दुःख व तकलीफ़ दे-असत्य बोले-वैर विरोध करे-क्रोध-मान पैदा करे तथा झगड़े करे-परनिन्दा करे; इत्यादि।
४-मोहनीय-कर्म-बन्धके कारण:(१) दर्शनमोहनीयः