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खण्ड]
* कर्म अधिकार *
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४-जिस कमेके उदयसे कारणवश अथवा बिना कारण शोक हो, वह 'शोकमोहनीय' कहलाता है। ___ ५-जिस कर्मके उदयसे कारणवश अथवा बिना कारण भय हो, वह 'भय मोहनीय कर्म' कहलाता है।
भय सात प्रकारका होता है:इहलोक-भय, परलोक-भय, आदान-भय, अकस्मात्-भय, आजीविका भय, मृत्यु-भय और अपयश-भय ।
६-जिस कर्मके उदयसे कारण अथवा बिना कारण मांस, शराब श्रादि बुरे पदार्थों को देखकर घृणा पैदा होती है, वह 'जुगुप्सामोहनीय कर्म' कहलाता है। ____-जिस कर्मके उदयसे स्त्रीको पुरुष के साथ भोग करनेकी इच्छा होती है, वह 'स्त्रीवेद कम' कहलाता है। ____-जिस कर्मके उदयसे पुरुषको स्त्रीके साथ भोग करनेकी इच्छा होती है, वह 'पुरुषवेद कर्म' कहलाता है। ___E-जिस कर्मके उदयसे स्त्री-पुरुष दोनोंके साथ भोग करने की इच्छा होती है, वह 'नपुंसक कर्म' कहलाता है।
ङ-आयुकर्म:जिस कर्मके अस्तित्वसे प्राणी जीता है और क्षयसे मृत्युको प्राप्त होता है, उसे 'आयुकर्म' कहते हैं।
आयुकर्म दो प्रकार का होता है। १-अपवर्तनीय,२-अनपवर्तनीय ।