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अखिल भारतवर्षीय प्राच्य सम्मेलन १२वां अधिवेशन, बनारस, हिन्दू विश्वविद्यालय ।
"प्राकृत और जैनधर्म" विभाग के मन्मुख विचारार्थ
प्रस्तुत विषय क्या दिगम्बर और श्वेताम्बर सम्प्रदायों के शासनों में
कोई मौलिक भेद हैं ? (अध्यक्ष-प्रो० हीरालाल जैन, एम. ए. एल एल. बी.)
जैन समाज के दिगम्बर और श्वेताम्बर ये दो सम्प्रदाय मुख्य हैं। इन सम्प्रदायों में शास्त्रीय मान्यता सम्बन्धी जो भेद है उनमें प्रधानतः तीन बातों में मतभेद पाये जाते हैं। एक स्त्रीमुक्ति के विषय पर, दूसरे संयमी मुनि के लिये नग्नता के विषय पर और तीसरे केवलज्ञानी को भूख प्यास आदि वेदनाएं होती हैं या नहीं इस विषय पर। इन विपयों पर क्रमशः विचार करने की आवश्यकता है।
१-स्व मुक्ति श्वेताम्बर सम्प्रदाय की मान्यता है कि जिस प्रकार पुरुष मोक्ष का अधिकारी है, उसी प्रकार स्त्री भी है। पर दिगम्बर सम्प्रदाय की कुन्दकुन्दाचार्य द्वारा स्थापिन आम्नाय में स्त्रियों को मोक्ष की अधिकारिणी नहीं माना गया। इस बात का स्वयं दिगम्बर सम्प्रदाय द्वारा मान्य शास्त्रों से कहां तक समर्थन होता है यह बात विचारणीय है। कुन्दकुन्दाचार्य ने अपने