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[ २५ पाठकों का आश्चर्य के साथ यह शंका भी हो सकती है कि जब दिगम्बर जैन शास्त्रों के प्रमाण भी उन्होंने दिये हैं यहां तक कि धवल आदि सिद्धान्त शास्त्रों से भी स्त्री मुक्ति की सिद्धि बताई है तब तो दिगम्बर सम्प्रदाय की मान्यता भी स्त्री मुक्ति आदि के विषय में सिद्ध होती है।
पाठकों की इस आश्चर्यभरी शंका का समाधान हम बहुत ही खुलासा रूप में भागे करेंगे यहां पर संक्षेप में इतना लिख देना ही हम पर्याप्त समझते हैं कि जिन तत्वार्थ-सूत्र, गोम्मटसार, भगवती आराधना, धवल सिद्धांत आदि दि० शास्त्रों के प्रमाण प्रो० सा० ने स्त्री-मुक्ति आदि की सिद्धि के लिये दिये हैं वे प्रमाण उन्होंने अपनी समझ के अनुसार दिये हैं । इससे जाना जाता है कि वे उक्त सभी शास्त्रों की या तो जानकारी नहीं रखते हैं अथवा दिगम्बर धर्म को श्वेताम्बर धर्म में मिला देने की धुनमें दिगम्बर शास्त्रों के कथन को सर्वथा विपरीत रूप में रख कर समाज को भ्रम में डालना चाहते हैं।
यदि प्रो० सा० शास्त्रों की जानकारी नहीं रखते हैं तो विशेषज्ञों से अपनी समझ का परिपूर्ण विचार-विमर्श कर लेना आवश्यक था, यदि वे विशेषज्ञों से उन शास्त्रोंके सिद्धांतों को अच्छी तरह समझ लेते तो उन्हें दिगम्बर धर्म के सिद्धांतों के विरुद्ध ऐसा स्वतन्त्र मन्तव्य रखने का प्रसंग नही पाती' यदि वे उन शास्त्रों के रहस्य को भली भांति जानते हैं तो उन