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यह ट्रेक्ट दि० जैन समाज के लिये अत्युपयोगी है क्योंकि पं० जी ने पूर्ण विद्वत्ता द्वारा दि० जैन शास्त्रों के प्रमाणों से एवं सुयुक्तियों से सरल रूप में उक्त सिद्धान्त को सर्व साधारण के लिये सुलभ कर दिया है। हमें विश्वास है कि समाज इस ट्रेक्ट को पढ़ कर प्रो० सा० के मन्तव्यों को सर्वथा विपरीत समझ कर दि० जैन सिद्धान्तों में निःशंकित और अटल प्रवृत्ति रखेगी।
अन्त में प्रो० सा० से हमारा निवेदन है कि वे इस ट्रेक्ट को पढ़ कर अपने मन्तव्यों को बदल कर यथार्थ सिद्धान्त सर्वसाधारण जनता में प्रगट करने की कृपा करें ।
बालमुकुन्द शास्त्री,
मल्लिनाथ जैन शास्त्री न्यायतीर्थ,
सुमतिचन्द्र शास्त्री, मोरेना