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________________ । १४७1 है। अतः ऐसे लोगों के स्थितिकररण के लिये बम्बई पंचायत का यह प्रयत्न अवश्य श्लाघनीय है जो उसने सभी विद्वानोंको ट्रैक्ट लिखने को आमंत्रित किया है। अनेक ट्रैक्ट लिखने के बजाय जैनधर्म के मर्मज्ञ एवं प्रकाण्ड विद्वानों द्वारा युक्ति और प्रमाण पूर्ण थोड़े से लेख ही पर्याप्त हैं। इसी सदाशय से हम लोग अलग न लिखकर श्रीमान सम्माननीय विद्यावारिधि, बादीभ केसरी, न्यायालंकार, धर्मधीर पं० मक्खनलाल जी शास्त्री महोदय के इस ट्रक्ट पर अपनी सम्मति प्रकट किये देते हैं कि हम इस ट्रैक्ट के विषय से पूर्ण सहमत हैं। माननीय शास्त्री जी ने उक्त ट्रैक्ट बहुत शास्त्रीय खोज श्रम और विद्वत्तापूर्ण लिखा है। इसमें प्रो० सा० की स्त्रीमुक्ति, सवस्त्र-संयम और केवली-कवलाहार इन तीनों मान्यताओं का सप्रमाण और सयुक्तिक खण्डन किया गया है। हम समझते हैं कि यदि प्रो० सा० को वास्तव में तत्वजिज्ञासा है तो वे इसे पढ़कर अपने विचार को अवश्य छोड़ देंगे और अपने विचार परिवर्तन को व्यक्त करेंगे। १. कुञ्जीलाल शास्त्रा न्याय काव्यतीर्थ, २. नाथूलाल शास्त्रो, काव्यरत्न, कविराज अजितरीय शास्त्री, आयुर्वेदाचार्य, ज्योतिषतीर्थ, यंत्र-तंत्र-मंत्र विद्याविशारद श्री गोपाल दि० जैन सि० विद्यालय मोरेना (ग्वालियर)
SR No.010088
Book TitleDigambar Jain Siddhant Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMakkhanlal Shastri
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages167
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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