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संयम और मोक्ष प्राप्ति के लिये मुख्य कारण है । दिगम्बर शब्द का यही अर्थ है कि जिसके दिशाएँ ही अम्बर - वस्त्र हों । अर्थात् जो वस्त्रादि सब परिग्रह का त्यागी नग्न हो- केवल आकाशप्रदेश पंक्ति (दिशारूपी) वस्त्र ही धारण करता हो, वही दिगम्बर कहलाता है । इस लिये दिगम्बर जैनधर्म में सवत्रसंयम प्राप्ति एवं सवस्त्र मोक्ष प्राप्ति के लिये किञ्चिन्मात्र भी स्थान नहीं है। इसके लिये दिगम्बर सिद्धान्त के सैकड़ों ग्रंथ श्रथवा मुनिधर्म स्वरूप निरूपक सभी ग्रन्थ प्रमाण भूत हैं । हम यदि कतिपय और ग्रन्थों का प्रमाण देते हैं तो यह लेख बढ़ता है। फिर जो प्रमाण दिए गये हैं वे पर्याप्त हैं। हमारे लिये तो एक भगवान कुन्दकुन्द स्वामी का प्रमाण ही पर्याप्त है। जो उनकी मान्यता है वही समस्व दिगम्बर जैनाचार्यों की मान्यता है ।
केवली के भूख-प्यासादिकी वेदनाका होना असंभव है
प्रो० हीरालाल जी ने तीसरी बात यह लिखी है कि
केवली भगवान को भूख प्यास की वेदना रहती है । अर्थात्उन्हें भूख प्यास लगती है । इस विषय में उनकी पंक्तियां इस प्रकार हैं