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गाथा
विषय __ २९ केवलिसमुद्भातर्नु सविस्तर स्वरूपनिरमण
१५१-६४ २९ बधाए केवलियो समुद्धात करे के न करे ? ए शानु समाधान ३० उपयोगनां नाम अने मार्मणास्थानना उत्तरभेदोमा उपयोग १६४ ३० बार उपयोगमां साकार अने अनाकार विभाग
१६४ ३०-३४ चौद मार्गणास्थानना उत्तरभेदोमां कया कया उपयोगो होय ?
तेनुं स्वरूप ३५ योगनी अन्दर जीवस्थान, गुणस्थान, योग अने उपयोगने आश्री
मतान्तरतुं निरूपण ३६ चौदमार्गणास्थानना उत्तरभेदोमां कई कई लेश्याओ होय ? तेनुं
स्वरूप ३७ मार्गणास्थानमा स्वस्थाननी अपेक्षाए गतिनुं गतिसाथे परस्पर
अल्पबहुत्व अने मनुष्यादिनी सङ्ख्याप्रमाण विगेरे सविशेष
स्वरूपनिरूपण ३८ मार्गणास्थानमा इन्द्रियनु इन्द्रियसाथे अने काय काय साये
परस्पर अल्पबहुत्व ३९ मार्गणास्थानमा योगर्नु योगसाथे अने बेदतुं वेद साथे परस्पर
अल्पबहुत्व ४०-४२ मार्गणास्थानमां कषायनी साथे कषाय ज्ञाननी साथे ज्ञान,, संय
मनी साथे संयमनुं अने दर्शननी साथे दर्शननुं परस्पर अल्पबद्दुत्व १७५-७६ ४३-१४ मार्गणास्थानमा लेश्यानी साथे लेश्यानु, भन्याभव्य, सम्यक्त्वनी
साथे सम्यक्त्वनु संलि-असंजिनुं अने आहारक-अनाहारकनुं
परस्पर अल्पवहुत्व ४४ सिद्ध करतां संसारी जीवो अनन्तगुणा छे अने ते बधाए
प्रायः आहारी छे तो अनाहारीथी आहारी असङ्ख्यातगुणा केम सम्भवे ? ए शङ्कानुं समाधान
१७९ तृतीय गुणस्थानाधिकार. ४५ गुणस्थानमां चौद जीवस्थाननुं स्वरूप
१७९ ४६-४७ गुणस्थानमा पंदर योगोनुं स्वरूप
१०९-८० ४८-४९ गुणस्थानमां बार उपयोगनु स्वरूप बने ते विषयमा कार्मप्रन्थिक करतां सिद्धान्तनुं जुदं मन्तव्यः
१८०-८२