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________________ गृ इ स्था श्र म १. जन्म : बुद्धदेव के जन्म के कुछ वर्षो पहिले मगध देश में इक्ष्वाकु कुछ की एक शाखा में जैनों के अंतिम तीर्थंकर श्री महावीर की जम्म हुआ था । उनके पिता सिद्धार्थ क्षत्रियकुण्ड नामक गांव के राजा थे। उनकी माता का नाम त्रिशला था। वे तीर्थंकर पार्श्वनाथ द्वारा स्थापित जैनधर्म के अनुयायी थे* । महावीर का जन्म चैव सुदी १३ को हुआ था । उनके निर्वाण काल से जैन लोगों में वीर सम्वत् की * जैन धर्म महावीर से पहले का है। कितना पहले, यह कहना तो कठिन है, परन्तु महावीर के पहले पार्श्वनाथ तीर्थंकर माने जाते थे और उनका सम्प्रदाय चलता था । चौबीस बुद्ध, चौबीस तीर्थंकर और चौबीस अवतारों की गणना बौद्ध, जैन और ब्राह्मण इन तीनों धर्मों में है। इसमें चौबीस बुद्धों की बातें काल्पनिक ही मालूम होती हैं। गौतम बुद्ध के पहले बौद्ध धर्म रहा हो, यह माना नहीं जा सकता। तीर्थंकरों और अवतारों में ऋषभदेव बैसे कितने नाम दोनों धर्मों में सामान्य मिळते हैं। तीर्थंकर नेमिनाथ श्रीकृष्ण के चचेरे भाई थे, ऐसी जैन मान्यता है । इन सभी बातों में ऐतिहासिक प्रमाण कितना और पीछे से मिलाई हुई बातें कितनी, यह निश्चित करना कठिन है। किसी एक धर्म ने चौबीस संख्या की कल्पना प्रारम्भ की और दूसरों ने उसकी देखादेखी की ऐसा प्रतित होता है। , -लेखक (ha)
SR No.010086
Book TitleBuddha aur Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishorlal Mashruvala, Jamnalal Jain
PublisherBharat Jain Mahamandal
Publication Year1950
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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