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कर सकता, लेकिन बुद्ध होने की इच्छावाला साधक एक-एक जन्म में एक-एक गुण में पारंगतता प्राप्त करे तो जन्मांतर में वह बुद्ध होने की योग्यता प्राप्त कर सकता है। गौतम बुद्ध ने इसी पद्धति से अनेक जन्म तक साधना कर बुद्धत्व प्राप्त किया था, ऐसा बौद्ध मानते हैं। यह बात उस धर्म के अनुयायियों के मनपर जमाने के लिए एक बोधिसत्व की कल्पना कर उसके जन्मजन्मांतर की कथा गढ़ दी गई हैं। अर्थात् ये कथाएँ कवियों की कल्पनाएँ हैं। लेकिन साधक के मन पर जमे, इस प्रकार गढ़ी हुई हैं। इन कथाओं को जातक कथाएँ कहते हैं। सामान्य-जन इन कथाओं को बुद्ध के पूर्व जन्म की कथाओं के रूप में मानते हैं। लेकिन यह भोली मान्यता है। फिर भी इनमें से कुछ कथाएँ बहुत बोध-प्रद हैं।