SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 104
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उपदेश १. पहला उपदेश : ____ जाम्भक गाँव से ही 'महावीर ने अपना उपदेश प्रारम्भ किया। कम से ही बंधन और मोक्ष होता है। अहिंसा, सत्य, ब्रह्मचर्य, अस्तेय और अपरिग्रह-ये मोक्ष के साधन हैं, यह उनके पहले उपदेश का सार था.। २. दश सत् धर्मः सब धर्मो का मूल दया है, परन्तु दया के पूर्ण उत्कर्ष के लिये क्षमा, नम्रता, सरलता, पवित्रता, संयम, संतोष, सत्य, तप, ब्रह्मचर्य और अमरिग्रह-इन दश धर्मों का सेवन करना चाहिये। इनके कारण और लक्षण इस प्रकार :- (१) क्षमा-रहित मनुष्य दवा का पालन अच्छी तरह नहीं कर सकता; इसलिए क्षमा करने में तत्पर मनुष्य धर्म की उत्तम रीति से साधना कर सकता है। (२) सभी सद्गुण विनय के वश में हैं और विनय नम्रता से आती है। इसलिए जो व्यक्ति नम्र है यह सर्वगुण सम्पन्न हो जाता है। (३) सरलता के बिना कोई व्यक्ति शुद्ध नहीं हो सकता। अशुद्ध जीव धर्म का पालन नहीं कर सकता। धर्म के बिना मोक्ष नहीं मिलता और मोक्ष के बिना सुख नहीं। (४) इसलिए सरना के बिना पवित्रता नहीं और पवित्रता के बिना मोक्ष नहीं । (५-६) (८६)
SR No.010086
Book TitleBuddha aur Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishorlal Mashruvala, Jamnalal Jain
PublisherBharat Jain Mahamandal
Publication Year1950
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy