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साधना
योगी समझ कर महावीर आगे बढ़े। उपर्युक्त ब्राह्मण ने यह आधा वा उठा लिया । महावीर इसी दिन से जीवन-भर वस्त्र-हित ' दशा में विचरण करते रहे ।
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७. लाढ़ में विचरण :
महावीर को सबसे ज्यादा परेशानी और क्रूर व्यवहार का सामना लाढ़ प्रदेश में करना पड़ा था। कहा जाता है कि वे वहाँ इसलिये बहुत समय तक फिरते रहे क्योंकि उन्होंने सुन रक्खा था कि वहाँ के लोग अत्यन्त आसुरी हैं।
८. तप का प्रभाव :
महावीरका स्वभाव ही ऐसा था कि वे प्रसिद्धि से दूर ही रहना चाहते थे। किसी स्थान पर अधिक समय तक वे नहीं रहते
१- -अब तक महावीर साम्बर - वस्त्र सहित थे । अथ दिगम्बर हुए इस कारण जैनों में महावीर की उपासना के दो भेद हो गये । जो सबका महावीर की उपासना करते हैं वे श्वेताम्बर, जो निर्वस्त्र की उपासना करते हैं वे दिगम्बर कहडाते हैं । दिगम्बर जैन साधु अब बिरले ही हैं ।
२- खाद को कितने ही लोग छाट समझते हैं और ऐसा मानते है कि वह गुजरान में है । लेकिन यह नाम की समानता से उत्पन्न हुई भ्रांति है । वास्तविक रूप से अभी जो 'राड' नाम का भाग-भागीरथी के किनारे के आसपास का वह बंगाल - जह मुशिदाबाद, अजीमगंज हैं, वही बाढ़ है।