SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 91
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ६५ ) अगले खंड में निम्नलिखित मुद्दों पर विचार करेंगे :-- १ - भगवान महावीर के औषध सेवन वाले विवादास्पद सूत्रपाठ के अर्थ के लिये जैन विद्वानों के मत । २ - भगवान महावीर को इस औषधदान देने पर दिगम्बर जैनों का मत । ३ – जैन तीर्थकर का आचार । ४- निर्ग्रन्थ श्रमण का आचार । ५ - - निर्ग्रन्थ श्रमणोपासकों (गृहस्थों) का आचार । - औषध सेवन करने वाले, लाने वाले तथा बनाने वालों के जीवन । ७-- मांसाहारी प्रदेशों में रहने वाले जनों का भूतकाल तथा वर्त्तमान काल में जीवनसंस्कार । ८- तीर्था तरिकों द्वारा जैनधर्म सम्बन्धी आलोचना मे मांसाहार के आक्षेप का अभाव । ९ - - तथागत गौतम बुद्ध का निर्ग्रन्थ तपश्चर्या करते समय मांसाहार को ग्रहण न करने का वर्णन । १० -- भगवान् महावीर का रोग और उसके निदान के लिये योग्य औषध । ११ - विवादास्पद प्रकरण वाले पाठ में आने वाले शब्दों के वास्तविक अर्थ ।
SR No.010084
Book TitleBhagwan Mahavir tatha Mansahar Parihar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1964
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy