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अगले खंड में निम्नलिखित मुद्दों पर विचार करेंगे :--
१ - भगवान महावीर के औषध सेवन वाले विवादास्पद सूत्रपाठ के अर्थ के लिये जैन विद्वानों के मत ।
२ - भगवान महावीर को इस औषधदान देने पर दिगम्बर जैनों का
मत ।
३ – जैन तीर्थकर का आचार ।
४- निर्ग्रन्थ श्रमण का आचार ।
५ - - निर्ग्रन्थ श्रमणोपासकों (गृहस्थों) का आचार ।
- औषध सेवन करने वाले, लाने वाले तथा बनाने वालों के जीवन । ७-- मांसाहारी प्रदेशों में रहने वाले जनों का भूतकाल तथा वर्त्तमान काल में जीवनसंस्कार ।
८- तीर्था तरिकों द्वारा जैनधर्म सम्बन्धी आलोचना मे मांसाहार के आक्षेप का अभाव ।
९ - - तथागत गौतम बुद्ध का निर्ग्रन्थ तपश्चर्या करते समय मांसाहार को ग्रहण न करने का वर्णन ।
१० -- भगवान् महावीर का रोग और उसके निदान के लिये योग्य औषध ।
११ - विवादास्पद प्रकरण वाले पाठ में आने वाले शब्दों के वास्तविक अर्थ ।