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________________ स्तम्भ न० ११ 34 17 37 17 63 37 33 1 ") " " ) 21 "1 17 "7 27 73 34 " " " = "} " " " " भाग 33 ?? "" "" " " "} 17 37 17 "1 १९ विषय १ -- विवादास्पद सूत्र - पाठ और उसके अर्थ के लिये जैन विद्वानो के मत ७१ -- इस औषधदान पर दिगम्बर जैनो का मत ७८ - जैन तीर्थकर का आचार ३- ७९ 1- निग्रंथ श्रमण तथा निर्ग्रथ श्रमणोपासक का आचार ६ -- इस औषध को सेवन करनेवाले, औषघ लानेवाले, औषध बनाने तथा देनेवाले का जीवन-परिचय ७ - - मासाहारी प्रदेशो मे रहनेवाले जैन धर्मावलवियो का जीवन - सस्कार तथा उसके प्रभाववाले प्रदेशो मे अन्य धर्मावलबियो पर उनका प्रभाव ८ -- अन्य तीथिको द्वारा जैन-धर्म सम्बन्धी आलोचना में मासाहार के आक्षेप का अभाव -- तथागत गोतम बुद्ध की निर्ग्रथावस्था की तपश्चर्या मे मासाहार को ग्रहण न करने का वर्णन १० -- श्रमण भगवान् महावीर का रोग तथा उसके लिये उपयुक्त औषध 22 पृष्ठ ८५ ८६ ९७ ९९ १०२ १०४ ११ -- विवादास्पद प्रकरणवाले पाठ में आने वाले शब्दों के वास्तविक अर्थ १०७ विभाग १ - - मास शब्द की उत्पत्ति का इतिहास २ -- मास के नामो मे वृद्धि १०७ १०८
SR No.010084
Book TitleBhagwan Mahavir tatha Mansahar Parihar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1964
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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