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(घ) मंसए-मांसक (मांस से बना हुमा) हम पहले लिख चुके हैं कि “मांस" शब्द के वनस्पति फलवर्ग का गुदा आदि अनेक अर्थ होते हैं। जैसे
(१) मांस (नपुंसक लिंग) मांस, गर्भ, फलगर्भ, गूदा, फांक । (२) मांसक (पुल्लिग) पाक, मुरब्बा, फलगर्भ से तैयार किया हुआ। (३) मांस-गरिष्ठ पक्वान्न (अनेकार्थसंग्रह) उपर्युक्त विवरण से यह स्पष्ट है कि:
(१) जो गरिष्ठ पक्वान्न खाद्य पदार्थ होते हैं, उनमें प्रथम नंबर का खाद्य मांस कहलाता था, जो घी, शक्कर, पिष्ट (पीठी) आदि से बनाया जाता था। उस में केशर तथा लाल चन्दन का रंग दिया जाता था ।
(२) पके मीठे फलों को छीलकर उनके बीज या गुठलियां निकाल कर तैयार किया हुआ फलों या मेवों का गदा भी मांस कहलाता था। "मांस-फलगर्भ" अर्थात फल का गूदा (वैद्यक शब्दसिन्धु)।
(३) प्राणीअंग के तृतीय धातु को भी मांस कहते थे ।
(४) मांस शब्द (फलों, मेवों, फलियों के) गर्भ, गूदे के लिये प्रयुक्त होता है।
(ङ) मार्जार और कुक्कुट वनस्पतियां कैसा अद्भुत औषधीय गुण रखती हैं यह निम्नलिखित
वर्णन से ज्ञात होगा:(१)मार्जार अर्थात्, अगस्त्य तथा अगस्ति की शिम्बा के कैसे अद्भुत गुण होते हैं वह नीचे के श्लोक से विदित होगा :