SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ There he has said that "बह अट्टिएण मंसेण बा मच्छेण वा बहुकण्टएण" has been used in the metaphorical sence as can be seen from the illustration of tot startica given by Patanjali in discussing a vartika of Panini ( III, 3, 9 ) and from Vachaspati's com. on Nyayasutra (IV, 1,54) he has concluded : "This meaning of the passage in therefore, that a monk should not accept in alms any substance of which only of which only a part can be eaten and a greater part must be rejected.” डॉक्टर हर्मन जैकोबी के इस स्पष्टीकरण के बाद आस्लो के विद्वान् डाक्टर स्टेन कोनो ने अपने मत को एक पत्र द्वारा इस प्रकार प्रदर्शित किया है जिमका हिन्दी अर्थ नीचे दिया जाता है :___ "जैनों के मास खाने की बह-विवादग्रस्त बात का स्पष्टीकरण करके प्रोफेसर जेकोबी ने विद्वानों का बड़ा हित किया है। प्रकट रूप से यह बात मझे कभी स्वीकार्य नही लगी कि जिम धर्म में अहिंमा और सावत्व का इनना महत्त्वपूर्ण अश हो, उममे मास खाना किसी काल में भी धर्मसगत माना जाता रहा होगा । प्रोफेसर जैकोबी की छोटी-मी टिप्पणी मे सभी वात स्पष्ट हो जाती है । उमकी चर्चा करने का प्रयोजन यह है कि मैं उनके स्पष्टीकरण की ओर जितना सभव हो उतने अधिक विद्वानो का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूँ। पर निश्चय ही अभी भी ऐसे लोग होंगे जो (जैकोबी के) पुराने सिद्धान्त पर दृढ़ रहेंगे । मिथ्यादृष्टि से मुक्त होना बडा कठिन है पर अन्त मे सदा सत्य की विजय होती है।" (आचार्य विजयेन्द्रसूरि कृत तीर्थकर महावीर भाग २ पृ० १८१) जैकोबी के बाद इस प्रश्न को श्री गोपालदास जीवाभाई पटेल ने तथा अध्यापक धर्मानन्द कौशाम्बी ने श्रमण भगवान् महावीर को तथा निग्रंथ (जैन)श्रमणो को मासाहारी सिद्ध करने का दुःसाहस किया है। श्री गोपालदास जीवाभाई पटेल आज जीवित है पर अध्यापक धर्मानन्द कौशाम्बी इस संसार से विदा ले चुके हैं। इन दोनों ने जैनागमो के गूढार्थ युक्त उन उल्लेखो
SR No.010084
Book TitleBhagwan Mahavir tatha Mansahar Parihar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1964
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy