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क्षत्रियकुंड
१. पिता - मगध जनपद में क्षत्रियकुंडपुर के नरेश काश्यपगोत्रीय | ज्ञातृवंश के ईक्ष्वाकुकुल के क्षत्रिय सिद्धार्थ थे।
२. माता - विदेह जनपद के वैशाली नरेश सूर्यवंशीय वाशिष्ट गोत्रीय लिच्छिवी कुल के महाराजा चेटक की बहन त्रिशला थी ।
३. पत्नी - कोडिन्न गोत्रीय क्षत्रिय समरवीर अपरनाम नरवीर कलिंगदेश के महासामंत की पुत्री यशोदा थी ।
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४. पुत्री - अनवद्या अपरनाम प्रियदर्शना जो कोशिक गोत्रीय क्षत्रिय राजपुत्र जमाली को ब्याही थी । यह भगवान महावीर का भानजा था । ५. जमाता (दामाद) कौशिक गोत्रीय राजपूत जमाली। भगवान महावीर की बड़ी बहन का पुत्र था।
६. बोहित्री - महावीर स्वामी की पुत्री प्रियदर्शना की बेटी थी। जिस का नाम यशस्वती अपरनाम शेववती थां ।
७. बड़े भाई नन्दिवर्धन थे। जो अपने पिता राजा सिद्धार्थ के देहावसान के बाद उनके जानशीन क्षत्रिय कुंडपुर के राजा हुए। ८ से १२ अन्य कुटुम्बी ।
८. चाचा सुपार्श्व ९. भुआ यशोधरा १०. मामा चेटक ११ बहन सुदर्शना । १२. भाभी (भोजाई) बड़े भाई नन्दीवर्धन की भार्या ज्येष्ठा चेटक की पुत्री थी ।
यों तो बाल्यावस्था से ही आप का रुझान क्षत्रियोचित कर्मों की बजाय वैराग्य की तरफ अधिक था। लेकिन माता-पिता के निधन के बाद भाई-भाभी के बहुत रोकने पर भी आप ने २८ वर्ष की अवस्था में वैराग्य ले लिया और ३० वर्ष की अवस्था में आप ने गृह को त्याग दिया। अब इन महान विभूति की जीवनी को ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देखें कि आप की जन्म कुण्डली के अनुसार आपका जीवन वृतांत कैसा है।
जन्म- जैन वांडमय में उल्लेख है कि वि. पू. ५४३ ( ई. पू. ६००) आषाढ़ शुक्ला छह को भगवान महावीर गर्भ में आये। यह माना जाता है कि पहले आप कुंडपुर के ब्राह्मणकुंड नगर में देवानन्दा नामक ब्राह्मणी के गर्भ में अवतरित हुए किन्तु माता देवानन्दा एक अवतारी जीव का गर्भ वहन नहीं कर पा रही थी। इसलिये इन्द्र ने अपने देवदूत द्वारा आपके भ्रूण को क्षत्रियाणी महारानी त्रिशला देवी की कोख में परिवर्तित करवा दिया। क्योंकि सभी अवतरित विभूतियां राजरानी क्षत्रियाणी की कोख से ही जन्म लेती हैं।