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३ परिशिष्ट - १
मगध और जैन संस्कृति
वर्तमान भारतीय संघ के बिहार राज्य के पटना कमिश्नरी ( डिविजनल ) विशेषकर इसके पटना, गया, हजारीबाग और शाहबाद जिलों के बहुभाग में व्याप्त क्षेत्र- इतिहास में मगध के नाम से प्रसिद्ध था। भारतवर्ष के प्राचीन इतिहास में मगध जनपद का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित है। जैनसाहित्य में वर्णित २५ ।। आर्यदेशों, महाभारत में उल्लिखित १६ जनपदों, भगवती सूत्र में १६ जनपदों और बुद्ध कालीन १६ जनपदों में मगध परिगणित है। जैन स्थानांगसूत्र एवं निशीथसूत्र में उल्लिखित भारत की दस राजधानियों और बौद्ध दिग्धनिकाय के महासुदर्शन सुत्त में वर्णित छह महानगरियों में मगध की प्रसिद्ध राजधानी राजगृही सम्मिलित है।
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सीमा और विस्तार - सामान्यतया मगध जनपद की उत्तरी सीमा गगावदी बनाती थी। जिसके पार (उत्तरबिहार) में विदेह जनपद अवस्थित था। मिथिला और वैशाली उसकी प्रसिद्ध नगरियां थीं। मगध के पूर्व में अंगदेश था। इसकी राजधानी चंपा थी। चंपानदी इन दोनों जनपदों को अलग करती थी। पड़ोसी अंगदेश के साथ मगध के कुछ ऐसे घनिष्ठ संबंध थे कि बहुधा अंग-मगध का एक युगल के रूप में भी उल्लेख हुआ है। मगध के दक्षिण मणि. और मलय नाम के दो छोटे जनपद थे। पश्चिम में काशी जनपद, उत्तर - पश्चिम में कोशल ( अपरनाम कुणालदेश राजधानी श्रावस्ती) और दक्षिण पश्चिम में वत्स ( राजधानी कौशांबी) अवस्थित थे। वर्तमान मंगेरमंडल का अधिकांश भाग भी मगध का उपांतभाग था। प्राचीन काल में ही यह क्षेत्र मगध माना जाता था। चंपेयजातक के अनुसार चंपानदी अंग और मगध राज्य विभावजक- प्राकृतिक सीमा थी। पालकालीन अभिलेखों से यह प्रमाणित होता है कि पुराने मुंगेर जिले के अंतर्गत था' वर्तमान मुंगेर और दक्षिण