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क्षत्रियकंड
यह बात ध्यानीय है कि इस प्रकरण में भौगोलिक दृष्टि से विचार चल रहा है। इसलिए प्राचीन क्षत्रियकुंड-लच्छुआड़ क्षेत्र के गांवों नगरों के परिपेक्ष्य पर भी भौगोलिक दृष्टि से विचार करना परमावश्यक है।
प्राचीन क्षत्रियकुंड और अर्वाचीन क्षत्रियकंड में कुछ एकता भी मिलती है। प्राचीन क्षत्रियकुंड टूटकर अनेक छोटे-छोटे गांवों में बट गया है। गांवों में दीपाकरहर, गायघाट आदि सूचक नाम हैं। जन्मस्थान और माहना पास-पास में हैं। क्षत्रियकंड के निकट कुराव-वन हैं। फिर वहवार (बहुवारि) नदी होकर कमारग्राम जाते हैं। कमारग्राम में ब्राह्मणों की बस्ती है, लच्छआड़ मे वायव्यकोण में तीन मील की दूरी पर कुमारग्राम है और वहां से वायव्यकोण में पांच मील दूर कोनागनाम है। वहां से बस मील की दूरी पर मोराग्राम है। इस के निकट बड़ नदी है। जो क्यूल नदी की शोखा रूप है। यह सब नाम भगवान महावीर के शरूआत केविहार में ज्ञातखंडवण से जल-स्थल मार्ग से कमारग्राम, कोल्लाग (कोनाग) सन्निवेश, मोराक (मोरा) सन्निवेश, अस्थिग्राम के पास की वेगवती (बहवार) आदि नामों के साथ (सामान्य परिवर्तन के साथ) बराबर मिलते हैं। लच्छआड़ से अग्निकोण में बसबट्टी गांव है। वर्तमान में इम क्षत्रियकंड के चारो ओर छोटे बड़े ग्रामों में जैनमंदिर थे। पर वर्तमान में नहीं है।
इस प्रकार यदि क्षत्रियकंड तथा उसके समीप में भगवान के प्रथम विहार के अथवा घटनाओं के स्थान प्राचीन नामों अथवा साधारण अपभ्रंश केमाथ मिल जावें तो भगवान महावीर का जन्मस्थान मानने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
भगवान महावीर का जन्म क्षत्रियकंड में हुआ था। यह स्थान आज भी जन्मथान के नाम से प्रसिद्ध है। आज भी शत-प्रतिशत यहां की स्थानीय जनता इसे जन्मस्पान (जन्मस्थान) के नाम से पहचानती है। किन्तु इमके वास्तविक अर्थ से अनभिज्ञ हैं। यहां एक प्राचीन जैनमंदिर भी है। यह स्थान विहार गज्य के मुंगेर जिले के अन्तर्गत जमुई सबडिविजन के लच्छाड़ नामक गांव के दक्षिण पर्वतश्रेणी के दक्षिण पार्श्व में अवस्थित है। उक्त मदिर के ढाई कोम दरी पर सोधापानी नामक स्थान है। यहां पुरातत्व के अवशेष प्राप्त होते हैं। लगता है कि यहां राजा सिद्धार्थ का महल स्थापित होगा। परन्तु आज यह पहाड़ी जंगली भीषणता के कारण यहां तक सभी यात्री नहीं जापाते। मभी मदिर नक पहुंचकर वापिस आ जाते हैं। विशेषतः क्षत्रियकुंड का उत्तरी भाग कितने ही छोटे बड़े और पहागे और पहाड़ियों मे घिग है। देखने मेम्पाटमान होना है कि