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________________ ६ भास्कर [भाग १५ है। प्रत्येक दरवाजे के दोनों ओर चार-चार बड़ी मूर्तियाँ हैं तथा दरवाजे के ऊपर तीन-तीन बड़ी पद्मासन मूर्तियाँ हैं । खम्भे चोकोर हैं, ये ऊपर और नीचे चौड़े हैं, इनके ऊपर चार-चार ब्रेकिटें हैं, जो छत को संभाले हुए हैं। इन खम्भों की ऊँचाई ७ फोट ५ इंच है। दक्षिण-पूर्व के कोने के कमरे की वेदी पर तीन ऊँची खड़ी मूर्तियाँ विराजमान हैं। इनमें बीच की मूर्ति १२ फीट, ६ इंच ऊँची और ३ फीट ८ इंच चौड़ी . है। यह जमीन में नीचे धसी हुई है। शेष दोनों बगल-वाली मूर्तियाँ ६ फीट 6 इंच ऊँची और २ फीट ४ इंच चौड़ी हैं। ___ मन्दिर भूमिसात् है, इसकी छत गिर गई है, वरामदे की छत के कुछ किनारे के हिस्से लटक रहे हैं। बाहर में तीन यक्षिणियों की मूर्तियाँ भग्न मूर्तियों के साथ पड़ी हुई हैं, ये भग्न सभी मूर्तियाँ दिगम्बर सम्प्रदाय की हैं। एक स्तम्भ पर तीन पंक्तियों का लेख उत्कीर्ण हैं प्रथम पंक्ति-सं० ११५२ वैशाख सुदि पञ्चम्या द्वितीय पंक्ति-श्रीकाष्ठासंघ महाचार्यवयं श्रीदेव । तृतीय पंक्ति-सेनपादुका युगलम् नीचे के हिस्से में एक भग्न मृत्ति है, जिसपर श्रीदेव लिखा है। एक खड़गासन मृत्ति के नीचे निम्न लेख उत्कीर्ण है, इस लेख में संवत और तिथि का जिक्र नहीं है लषु श्रोष्ठिनो कार्ति श्रीमान वसु प्रतिमा श्रेठिनी लक्ष्मीः अर्थात इस लेख में बताये गये 'वसु वासुपूज्य भगवान हैं, जो कि १२ वें तीर्थंकर हैं। दक्षिण की तरफ १६ इंच के तोरण पर ५६ पंक्तियों का लम्बा लेख उत्कीर्ण है। यह संवत् ११४५ का है। इसका प्रारम्भ "ॐ नमो वीतरागाय" से हुआ है । श्रीशान्तिनाथ जिन और श्रीमज्जिनाधिपति आदि नाम भी आये हैं तथा इसमें लाडवागड गण के देवसेन , कुलभूषण, दुर्लभसेन, अंबरसेन और शान्तिपेण इन पाँच प्राचार्यों के नाम भी पाये जाते हैं। नेमिचन्द्र शास्त्री
SR No.010080
Book TitleBabu Devkumar Smruti Ank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye, Others
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1951
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size47 MB
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