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________________ २० भास्कर [ भाग १५ औरंगजेब बादशाह, हजरत महमद फरुखशियर बादशाह गाजी हजरत महमदशाह बादशाह, हजरत ग्रहमदशाह बादशाह, हजरत अलमगीर सानो बादशाह. हजरत बादशाह गाजीसाह आलम गरज इन तमाम बादशाहान के फरमान के मुताबिक दर्जा और ताजीम व दाद व सनद तमाम व अलका व श्रादाच जगत् गुरु श्राजारज श्री पूज्य श्रीजी महाराज प्रभु व हरि ( श्री ? ) जिनचंद जैन बादशाह देवशरण श्रीचरण व श्री जिन चिरंजीव श्री जिनराज भोर ( सूरि ? ) जी श्री जिन रस्ता ( रत्न ? ) भोर ( सूरि ? ) जी श्री घे - ( क्षे ? ) म लाभ सागरजी श्री जिनसल जी देव व जगतगुरु भोज धरम सतगुरु श्री ज्ञानभद्रजी वनेसेजी, वनेसागरजी, वेलबजी जब बादशाही दरबार में पहुँचे तब ताजीम परणाम दराडोत और तस्लीमात की बादशाह ने अपने तखतपर बिठाया और इनकी ताजीम में तखतखाश और तख ख़ाँ और छंवर छाया गीर वगैरा खास व पालकी व मोरछल आफ्ना वीजनि और सोने और चाँदी की चोच, सिंहासन, करमसी जर्रीन भेट फरमाई और हजरत बादशाहने फरमान जारी किया कि यह मरतबा और दस्तूर हमेशे जारी रखना चाहिये और सबको चाहिये के तमाम कौम मुसलमान और हिन्दू वगैरा गुरुजी की ताजीम करें और अपना गुरु समझ और फर्श या यंदा डालकर शहर में इज्जन व ताजीम से ले जावें और श्री गुरुजी के सामने दादीन और तस्लीमात बजा लायें और ताबेदारी के कायदों से बाहर न हो और एक रुपया और एक अदद नारियल फसल व फसल और साल व साल नजर व नयाज देते रहे और यह दस्तूर तमाम हिन्दुस्थान में हमेश हमेशे जारी रहे। और किसी तरह से तरस्युर व तब न होवेगा खश्मन तमाम कौमें मुसलमानों की और हिन्दुओं की ताबेदारी से बहुत ताजीम श्रौर दंडोल तमाम गुरुओं की बजा लाने और इन तमाम गुरुओं को मुरशिद और धरम सत्पूज्य गोस्वामीनाथ और परमेश्वररूप पना जाने और आदान बजा लावें और तस्लीम और श्रादाच बजा लाने में कोई कसर और इकीका न रखें और काम मजकूर से कोई तकसीर या लापरवाही इनके बारे में साबित होगा तो यह तमाम गुरु उनको सजा देने में जो सजा इनके मजहब में मालूम होवें देवें या माफ कर देवें यह इनको अख्तियार है और यह मराति ताजीम के जो इनके लिये मुकर्रर है वह अगले जमाने के राजाओं में जैसे राजा वीर विक्रमादीत और राजा सालिवाहन वगैरा तमाम राजगान चक्रवर्ती और महाराजा श्रीजयचंद्र जी व इनके लश्कर व फौज रखते थे और महाराजा चौहान और कुल राजगान छोटे और बड़े भी मरातब ताजीम के इन गुरुओंके लिये बहाल रखते थे बल्कि अपनी तरफ से दुगनी ताजीम बजा लाते थे और हिन्दुस्थान के तमाम के तमाम बादशाहों के फरमानों के मुताबिक इन गुरुओं के मरातित्र और मनासिब जैन बादशाह जगतगुरु पूज्य परम सतगुरु श्री बनेसागरजी और श्रीजगतगुरु पूज्य श्रीहेमराजजी देवश्री देवचरण यह
SR No.010080
Book TitleBabu Devkumar Smruti Ank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye, Others
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1951
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size47 MB
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